Delhi CM: दिल्ली में भाजपा विधायक रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाए जाने का निर्णय लिया गया है. भाजपा के दिल्ली प्रदेश कार्यालय में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से उन्हें नेता चुना गया. इस बैठक में प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय ने रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी ने समर्थन दिया. इससे पहले सीएम पद की दौड़ में प्रवेश वर्मा का नाम भी चर्चा में था, लेकिन आखिरकार बाजी रेखा गुप्ता के हाथ लगी. इस फैसले के पीछे कई अहम कारण बताए जा रहे हैं, जो भाजपा की रणनीति को भी दर्शाते हैं.
#WATCH | Delhi CM elect Rekha Gupta greets supporters and family members who gathered at her Shalimar Bagh residence to welcome her.
— ANI (@ANI) February 19, 2025
She is all set to take oath as Delhi's CM tomorrow at Ramlila Maidan. pic.twitter.com/TFD8dxyAhs
BJP की परिवारवाद से दूरी बनाए रखने की कोशिश
भाजपा ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर परिवारवाद के आरोपों से बचने की रणनीति अपनाई है. प्रवेश वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री साहेब सिंह वर्मा के बेटे हैं, और यदि भाजपा उन्हें सीएम बनाती, तो पार्टी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लग सकता था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं विपक्षी दलों पर परिवारवाद को लेकर हमले करते रहे हैं. ऐसे में भाजपा ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर यह संदेश दिया कि वह योग्यता को प्राथमिकता देती है, न कि पारिवारिक पृष्ठभूमि को.
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रेखा गुप्ता को बेदाग छवि ने दिलाई बढ़त
रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर स्वच्छ और विवादों से मुक्त रहा है. वे वर्षों से भाजपा के संगठन में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और विभिन्न पदों पर काम कर चुकी हैं. वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष रह चुकी हैं और नगर निगम में पार्षद के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं. 1992 में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. उनके राजनीतिक सफर में कोई विवाद नहीं रहा, जिससे उनकी स्वच्छ छवि बनी रही. दूसरी ओर, प्रवेश वर्मा की छवि एक कट्टर हिंदू नेता के रूप में रही है, जबकि रेखा गुप्ता को एक सौम्य और शांत राजनेता के रूप में देखा जाता है.
महिला सशक्तिकरण पर BJP का दांव
भाजपा ने महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देते हुए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया है. पार्टी का यह कदम महिला वोटर्स को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. हाल ही में हुए दिल्ली चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में अधिक रही, जिसे भाजपा ने एक अवसर के रूप में देखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने भाषणों में महिला सशक्तिकरण पर जोर देते रहे हैं. वर्तमान में भाजपा की किसी भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं है, इसलिए रेखा गुप्ता की नियुक्ति से भाजपा ने विपक्षी दलों को भी करारा जवाब दिया है.
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हरियाणा कनेक्शन पर भी BJP की नजर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हरियाणा से आते हैं और भाजपा ने इस समीकरण को संतुलित करने के लिए हरियाणा में जन्मी रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर एक नई रणनीति अपनाई है. दिल्ली में हरियाणा मूल के लोगों की संख्या काफी अधिक है, जो चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, हरियाणा में भाजपा की सरकार है, जिससे दिल्ली और हरियाणा के बीच बेहतर तालमेल बैठाने में भी यह फैसला मददगार साबित हो सकता है.
वैश्य समुदाय को साधने की रणनीति
रेखा गुप्ता वैश्य समाज से आती हैं, और भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर इस समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. दिल्ली में वैश्य समुदाय का प्रभाव महत्वपूर्ण है, और भाजपा का कोर वोट बैंक भी इसी समाज से आता है. इसके अलावा, रेखा गुप्ता का परिवार राजनीति में सक्रिय नहीं रहा है, जिससे भाजपा ने यह संदेश दिया कि वह साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले नेताओं को भी शीर्ष पदों तक पहुंचने का मौका देती है.
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बीजेपी की रणनीतिक जीत
भाजपा ने दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत संदेश देने के लिए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री के रूप में चुना है. पार्टी ने इस फैसले के जरिए परिवारवाद से परहेज, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छ छवि, हरियाणा कनेक्शन और वैश्य समाज को साधने जैसी कई रणनीतियों को साधने की कोशिश की है. अब देखना होगा कि रेखा गुप्ता अपनी नई जिम्मेदारी को किस तरह निभाती हैं और भाजपा की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती हैं.
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