सीलमपुर सीट से लड़ रहे उम्मीदवारों की सूची
उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
अनिल कुमार शर्मा (गौर) | भारतीय जनता पार्टी | 36532 |
अब्दुल रहमान | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 16551 |
चौधरी जुबैर अहमद | आम आदमी पार्टी | 79009 |
दीपक कुमार | बहुजन समाज पार्टी | 422 |
मोहम्मद नजीर | रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) | 107 |
शबाना | राष्ट्रीय रिपब्लिकन पार्टी | 177 |
सुमन शर्मा | सांझी विरासत पार्टी | 50 |
एस.एम.अक़ीफ़ | स्वतंत्र | 24 |
इसलाउद्दीन | स्वतंत्र | 22 |
मोहम्मद जुबैर मलिक | स्वतंत्र | 29 |
रहीसुद्दीन अहमद | स्वतंत्र | 44 |
मोहम्मद शफी | स्वतंत्र | 72 |
सैयद मुनीब | स्वतंत्र | 46 |
सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में एक महत्वपूर्ण सीट है और यह नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इस सीट की स्थापना इमरजेंसी के दौरान नॉर्थ और सेंट्रल दिल्ली से विस्थापित हुई आबादी को बसाने के उद्देश्य से की गई थी. धीरे-धीरे यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल हो गया और यहां से हमेशा मुस्लिम उम्मीदवारों को ही जीत मिली है. अब तक इस सीट पर हुए चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों को ही जीत मिली है और बीजेपी का खाता भी नहीं खुल सका है.
2020 के विधानसभा चुनाव में सीलमपुर सीट पर आम आदमी पार्टी ने अब्दुल रहमान को उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा था, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने कौशल कुमार मिश्रा को प्रत्याशी बनाया. कांग्रेस ने इस बार अपने कद्दावर नेता और पांच बार के विधायक चौधरी मतीन अहमद को मैदान में उतारा, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में कुल छह उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन परिणाम अब्दुल रहमान के पक्ष में आया. अब्दुल रहमान ने बीजेपी के कौशल कुमार मिश्रा को 37,075 मतों के अंतर से हराया. उन्हें 72,694 वोट मिले, जबकि कौशल को 35,619 वोट ही मिले. चौधरी मतीन अहमद को केवल 20,207 वोट ही मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे.
सीलमपुर सीट का ऐतिहासिक दृष्टिकोण भी बहुत रोचक है. यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल है और यहां हमेशा मुस्लिम उम्मीदवारों को ही जीत मिलती रही है. यहां तक कि बीजेपी भी अब तक इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है. 1993 में चौधरी मतीन अहमद ने जनता दल के टिकट पर पहली बार जीत हासिल की थी. इसके बाद 1998 में वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में सफल रहे. 2003 के चुनाव से पहले मतीन अहमद ने कांग्रेस का दामन थामा और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने. कांग्रेस के टिकट पर ही उन्होंने 2008 और 2013 के चुनावों में भी जीत हासिल की, जिससे उनका विधायक बनने का सिलसिला लगातार जारी रहा.
लेकिन 2015 के चुनाव में इस सीट पर परिणाम बदला. आम आदमी पार्टी ने इस बार मोहम्मद इशराक को अपना उम्मीदवार बनाया और वह 27,887 मतों के अंतर से विजयी हुए. इशराक ने बीजेपी के संजय जैन को हराया, जबकि मतीन अहमद तीसरे स्थान पर रहे. 2020 में भी मतीन अहमद को हार मिली और वह फिर से तीसरे स्थान पर खिसक गए. इस बार आम आदमी पार्टी के अब्दुल रहमान ने जीत हासिल की और बीजेपी को फिर से दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा.
2025 के विधानसभा चुनाव से पहले एक नया मोड़ आया है. कांग्रेस के दिग्गज नेता और 5 बार के विधायक चौधरी मतीन अहमद ने पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी (AAP) का दामन थाम लिया है. यह कदम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है क्योंकि मतीन अहमद की पहचान दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में है.
इस सबके बीच, सीलमपुर विधानसभा सीट पर हो रहे राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं. चुनावी रणनीतियां और गठबंधन के खेल के कारण यह सीट आने वाले दिनों में और भी दिलचस्प हो सकती है. दिल्ली के मतदाता यह देखेंगे कि इस बार का चुनाव परिणाम किसकी झोली में जाता है और सीलमपुर सीट की सियासत में कौन सा नया अध्याय जुड़ता है.