इसके साथ ही मिथिला एंजल नेटवर्क के अरविंद झा ने अपने वक्तव्य में कार्यक्रम की रूपरेखा और जरूरत को साझा किया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कला-संस्कृति के साथ ही संवर्धन के तमाम विषयों को समाहित करने हुए ज्ञान, सूचना और व्यापारिक आदान-प्रदान बेहद जरूरी है. आर्थिक रूप से भारतीय दृष्टिकोण और डिजिटलीकरण को जिस प्रकार से भारत में बढ़ावा दिया गया है, वह भी संज्ञान में लिया जाए. इंडोनेशिया और भारत को अपने जनसांख्यीकिय सामर्थ्य को समझकर विकास के नए आयाम गढ़ने हैं.
इस कार्यक्रम इंडोनेशिया की भारत में राजूदत इना एच कृष्णमूर्ति ने अपने वीडियो संदेश के माध्यम से सभी का उत्साहवर्धन किया. आयोजन कमिटी हॉल की ओर बढ़ा, जहां भारत और इंडोनेशिया का राष्ट्रगान का गायन किया गया तथा वेदपाठ के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया. प्रोफेसर गौतम झा द्वारा स्वागत भाषण के बाद इंडोनेशिया से आए प्रतिनिधि मंडल से सी द्विहस्तीरिनी, अदिनिंदीया तथा फितरिया और राष्ट्रीय स्तर की कलाकारों में मिथिला पेंटिंग में नैशनल अवार्डी भारती दयाल, सीमा सिंह, मिथिला एंजल नेटवर्क के संस्थापक अरविंद झा, प्रोफेसर अदिति नारायणी पासवान, डॉ संजय कुमार और विवेक अभिनव को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, तथा मिथिला-मखान के साथ सम्मानित किया गया.
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डॉ संजय कुमार की अध्यक्षता में परिचर्चा की शुरुआत की गई, जिसमें प्रोफ़ेसर अदिती नारायणी पासवान और विवेक अभिनव द्वारा कला, संस्कृति, शिक्षा, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई. साथ ही छात्रों के लिए सीमा सिंह द्वारा वर्कशॉप कराया गया. प्रोफेसर राजीव सिजारिया की अध्यक्षता में परिचर्चा का द्वितीय चरण आरम्भ हुआ, जिसमें प्रोफेसर अरविंद कुमार, प्रोफेसर गौतम झा और भारती दयाल उपस्थित रहीं. भारत-इंडोनेशिया की कला-संस्कृति और सांझी विरासत तथा वैश्विक स्तर पर कला, शिल्प और सामाजिक उद्यमिता जैसे विषय चर्चा का केंद्र रहे. प्रोफेसर कौशल कुमार शर्मा का वेलिडिक्टरी भाषण ने लोगों का ज्ञानवर्धन किया. सत्र का सफल समापन प्रोफेसर सविता झा और प्रोफेसर गौतम झा के धन्यवाद भाषण के साथ हुआ.