Home झारखण्ड बोकारो साल के बीज बेचकर सशक्त हो रहीं ग्रामीण महिलाएं, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे कदम

साल के बीज बेचकर सशक्त हो रहीं ग्रामीण महिलाएं, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे कदम

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साल के बीज बेचकर सशक्त हो रहीं ग्रामीण महिलाएं, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे कदम
Rural women collecting Sal seeds

Women Empowerment | ललपनिया, नागेश्वर: बोकारो के गोमिया में साल के बीज महिला सशक्तिकरण और आमदनी का जरिया बन रहे हैं. ग्रामीण महिलायें साल के बीज को बेचकर आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं. जानकारी के अनुसार, गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती जंगल के ग्रामीण क्षेत्रों में साल के पेड़ के बीज को चुनना लोगों के लिए आमदनी का एक बेहतर जरिया है.

व्यापारी खरीदते हैं बीज

Saal seeds

बताया जाता है कि इलाके के झुमरापहाड़, बडकीसिधावारा,चतरोचटी ,बडकीचिदरी,कर्री ,कढमा जैसे ग्रामीण इलाकों में साल के पेड़ काफी संख्या में हैं. साल, जिसे ‘सखुआ (या सखुवा)’ भी कहा जाता है. बड़ी संख्या में महिलायें साल पेड़ के बीज को जमा कर घर लेकर आती है. यहां समतल जगह में रखकर बीज के साथ आये पत्तों को जलाकर महिलायें अलग कर लेती हैं. फिर, साल के बीज को जमा करती हैं, जिसे बाहर से आये व्यापारी खरीदकर ले जाते हैं.

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इस काम में नहीं लगती पूंजी

इस काम से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि वो लोग 30 से 40 रूपये किलो के भाव से बीज को बेचती है. उनका कहना है कि इस काम को करने में कोई पूंजी नहीं लगती. केवल मेहनत करने से, घर में कुछ पैसे आ जायेंगे. महिलाओं के मुताबिक, बीज बेचकर वो लोग रोजाना 100-200 रपये कमा लेती हैं. वहीं, इस संबंध में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन को सुरक्षित रखते हुए वनो उत्पाद का उपयोग किया जा सकता है.

साबुन बनाने में काम आता है ‘कुजरी का तेल’

इधर, बताया गया कि साल के बीज से निकले तेल को ‘कुजरी का तेल’ कहा जाता है. यह तेल साबुन बनाने में काम आता है. इसे लेकर चतरोचट्टी पंचायत के मुखिया महादेव महतो ने कहा कि इस पर सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में ही लघु उद्योग स्थापित कर तेल निकालना चाहिये. इस तरह गांव में भी साबुन बनाया जा सकता है. इससे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.

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पर्यावरणविद ने क्या कहा

वहीं, पर्यावरणविद जटलू महतो का कहना है कि साल के बीज वन उत्पाद है. इस संबंध पर वन विभाग को समिति बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योग स्थापित कर साबुन बनाने पर बल देने चाहिये. इससे काफी संख्या में महिला रोजगार से जुड़ेंगी. उन्हें आत्मनिर्भर बनने में बल मिलेगा. जटलू ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में वनो उत्पाद में करंज,नीम,पियार, महुआ,आदि के बीज प्रचुर मात्रा में मिलते हैं, जिससे तेल और साबुन बनता है.

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