Chaibasa News : लोक संस्कृति और प्रकृति के संगम का उत्सव है मासंत पर्व

झारखंड, ओडिशा और पूर्वी भारत में पर्व के नाम अलग-अलग, आस्था एक

By ATUL PATHAK | June 11, 2025 11:29 PM
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चक्रधरपुर. भारत की संस्कृति में लोक पर्वों का विशेष स्थान है. हर राज्य, क्षेत्र व गांव की अपनी विशेष परंपरा होती है, जो प्रकृति, कृषि और सांस्कृतिक जीवन से जुड़ी होती है. ऐसे ही परंपराओं में एक ‘मासंत पर्व’ है जिसे हर वर्ष 14 जून को झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है. यह पर्व न सिर्फ प्राकृतिक बदलाव का प्रतीक है, बल्कि लोक संस्कृति, कृषि जीवन और सामाजिक सामूहिकता का भी उत्सव है.

मासंत पर्व का अर्थ और महत्व

झारखंड में मासंत पर्व

ओडिशा में रजो पर्व :

भारत के अन्य राज्यों में भी इसी समय प्राकृतिक बदलाव और कृषि चक्र से जुड़े पर्व मनाये जाते हैं, भले ही उनके नाम और परंपराएं अलग हों. बिहार में इस समय ‘आषाढ़ी एकादशी’ के आसपास कृषि पूजा की परंपरा होती है. पश्चिम बंगाल में वर्षा आगमन के साथ ‘आषाढ़ उत्सव’ और स्थानीय मेलों का आयोजन होता है. छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में इसे ‘बूढ़ी माई पूजा’ या खेत पूजन के रूप में मनाया जाता है.

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