प्रखंडों में मुखिया की मासिक बैठक कर रिपोर्ट जिला संघ को भेजने का निर्णय संवाददाता, चाईबासा पश्चिमी सिंहभूम जिले में पंचायती व्यवस्था को मजबूत बनाने, सभी मुखिया की एकजुटता को बढ़ावा देने और जमीनी स्तर पर विकास कार्यों के संचालन में मुखिया की भूमिका को प्रभावशाली बनाने के लिए जिला मुखिया संघ ने शुक्रवार को जगन्नाथपुर में बैठक की. इसमें जगन्नाथपुर व नोवामुंडी प्रखंड के सभी पंचायत प्रतिनिधि शामिल रहे. बैठक के बाद संघ ने बताया कि सख्त संदेश है कि पंचायत प्रतिनिधि अब चुप बैठने वाले नहीं हैं. वे अपने अधिकारों और दायित्वों को लेकर सजग हैं. संगठन के बल पर प्रशासन व सरकार से संवाद और संघर्ष दोनों के लिए तैयार हैं. मुखिया की अनदेखी से ग्रामीण भारत का विकास असंभव जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष हरिन तामसोय ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था को संगठित और जागरूक नेतृत्व की आवश्यकता है. मुखिया पंचायत की रीढ़ होते हैं. उन्हें नजर अंदाज किया गया, तो ग्रामीण भारत का विकास असंभव हो जायेगा. मुखिया की प्रमुख समस्याएं अधिकारों की अनदेखी और प्रशासनिक अड़चनें हैं. योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत प्रतिनिधियों की अनदेखी बैठक में सभी मुखिया ने अपने क्षेत्रों की समस्याओं को रखा. आरोप लगाया कि योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत प्रतिनिधियों को दरकिनार किया जा रहा है. मुखिया के सुझाव को नजर अंदाज किया जाता है. नोवामुंडी की मुखिया ने कहा कि हमसे कहा जाता है कि गांव में विकास करें, लेकिन हमें पूर्ण अधिकार नहीं दिए जाते हैं. योजना बना ली जाती है. हमें सिर्फ हस्ताक्षर के लिए बुलाया जाता है. जगन्नाथपुर की मुखिया ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना व जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं में पंचायत की भूमिका केवल कागजों तक सीमित है. यह स्थिति बदलनी चाहिए. मौके पर संघ के सचिव दोनो बनसिंह, उप सचिव धर्मेंद्र बोदरा, उपाध्यक्ष जुलियस हेंब्रम, कोषाध्यक्ष गुलशन सुंडी आदि ने विचार रखे.
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