लाखों की सेहत पर मंडरा रहा खतरा
तस्वीर: 29 जैंतगढ़ 2 पवित्र वैतरणी नदी जो हो रही दूषितप्रतिनिधि, जैंतगढ़
चंपुआ और जैंतगढ़ की सीमा पर स्थित वैतरणी पुल के नीचे वेस्टेज और कूड़ा-करकट लगातार जमा हो रहा है. इस पुल के ठीक नीचे पांच इंटेकवेल बने हुए हैं, जिनसे क्षेत्र की बड़ी आबादी को पेयजल आपूर्ति की जाती है. लेकिन हाल के दिनों में नदी में मीट, मछली, ब्रॉयलर वेस्टेज और घरेलू कचरे को फेंके जाने की घटनाएं बढ़ गयी हैं. यह स्थिति न केवल नदी के जल को प्रदूषित कर रही है, बल्कि आसपास की हवा और पर्यावरण पर भी गंभीर असर डाल रही है.
नदी किनारे सड़ रहे कचरे से आ रही दुर्गंध
वैतरणी नदी पर निर्भर हैं लाखों लोग
जैंतगढ़ की लगभग 95% और ओडिशा के चंपुआ की करीब 80% आबादी वैतरणी नदी के जल पर आश्रित है. यही जल पीने, भोजन पकाने और अन्य घरेलू कार्यों में उपयोग होता है. ऐसे में नदी में कूड़ा-कचरा फेंका जाना एक गंभीर जनस्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है.
पुल के नीचे वेस्टेज से प्रदूषण का खतरा
जैंतगढ़ की लगभग 95%और ओड़िसा के चंपुआ की 80% आबादी वैतरणी नदी के पानी पर निर्भर हैं, जो उन्हें पीने, खाना बनाने और अन्य कार्यों के लिए मिलता है.
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