पहले भी मारे हैं, अब भी घर में घुसकर पाकिस्तान को मारेगी हमारी सेना प्रतिनिधि, तोरपा. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की घटना का बदला लेने के लिए सेना ऑपरेशन सिंदूर चला रही है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान के घर में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया है. इसके बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है. इस माहौल के बीच 1971 की लड़ाई लड़ चुके सैनिकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यदि युद्ध हुआ तो पाकिस्तान मिट्टी में मिल जायेगा. भारत के आगे नहीं टिक पायेगा पाकिस्तान : मिखाइल सांगा तोरपा के दियांकेल गांव निवासी भूतपूर्व सैनिक मिखाइल सांगा पाकिस्तान के खिलाफ 1971 की लड़ाई लड़ चुके हैं. 1971 में वे उसनी बॉर्डर (पंजाब) में पोस्टेड थे. वे नौ बिहार रेजिमेंट में थे. वे बताते हैं कि उस वक्त लड़ाई में भारतीय सेना पाकिस्तान के अंदर 12 किलोमीटर तक घुस गयी थी. वे लोग पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए लाहौर तक पहुंच गये थे. इस दौरान पाकिस्तान के कई बंकर को नष्ट कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि भारत के आगे पाकिस्तान नहीं टिक पायेगा. पहले भी कई बार पाकिस्तान ने मुंह की खायी है, परंतु वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. युद्ध हुआ तो मिट्टी में मिल जायेगा पाकिस्तान : मार्टिन तोपनो तोरपा के सरना टोली निवासी मार्टिन तोपनो कहते हैं कि यदि पूर्ण रूप से युद्ध हुआ तो पाकिस्तान मिट्टी में मिल जायेगा. मार्टिन तोपनो 1965 तथा 1971 की लड़ाई में शामिल रहे हैं. 1971 की लड़ाई के वक्त वह जम्मू में पोस्टेड थे. लड़ाई के दौरान पूंछ अखनूर सेक्टर में थे. मार्टिन तोपनो 1965 की लड़ाई में भी शामिल थे. वे बताते हैं कि 1965 में उधमपुर में थे. तब हमारे पास ऑटोमेटिक हथियार भी नहीं थे. फिर भी पाकिस्तान को धूल चटा दिया. हमारी भारतीय सेना के मुकाबले पाकिस्तान कही नहीं टिकेगा. ज्यादा उछल कूद किया तो मिट्टी में मिल जायेगा. 24 घंटे में बांग्लादेश को आजाद कराया था : जूनास सांगा तोरपा के बेथेल नगर में रहते हैं जूनास सांगा. 1971 की लड़ाई के वक्त गुआहाटी (असम) में पोस्टेड थे. वे आर्मी के एएससी में थे. बताते हैं कि उस वक्त लड़ाई के दौरान भारतीय सैनिक ढाका तक पहुंच गयी थी. बांग्लादेश को आजाद कराने में मात्र 24 घंटे लगे थे. फिर भी पाकिस्तान हिंदुस्तान से टकराने की जुर्रत कर रहा है. उन्होंने कहा कि काश आज हमलोग भी सेना में होते तो पाकिस्तान से टकराने का मौका मिलता. जूनास 1983 में सेवानिवृत्त हो गये हैं. उन्होंने कारगिल की लड़ाई में जाने की भी इच्छा व्यक्त की थी, परंतु इजाजत नहीं मिली थी. इंडियन नेवी काफी मजबूत है : मतियस भेंगरा इंडियन नेवी में रहे मतियस भेंगरा तोरपा बाजार टांड़ के पास रहते हैं. मतीयस भेंगरा 1967 में इंडियन नेवी में शामिल हुए, प्रशिक्षण के बाद आइएनएस, व्यास में कॉस्टन कमांड मुंबई थे. मतियस बताते हैं कि 1971 में जब लड़ाई शुरू हुई तो वे विशाखापत्तनम में थे. कैंप में साथियों के साथ पिक्चर देख रहे थे. तभी अचानक तुरंत मूव करने की खबर आयी. हम आइएनएस मगर में सैनिकों को लेकर बांग्लादेश के चिटगांव पहुंचे. इससे पहले भारतीय सेना ने एयर अटैक कर हमारे लिए रास्ता क्लियर कर दिया था. उन्होंने कहा कि हमारी इंडियन नेवी काफी मजबूत है. आज हमारे पास आइएनएस विक्रांत जैसे अत्याधुनिक जहाज हैं. हमारे पास कई एयर क्राफ्ट करियर जहाज है. पाकिस्तान हमारे सामने कही भी नहीं टिक सकता है. जीती हुई जमीन वापस ना करे भारत : सुलेमान बारला चार बिहार रेजिमेंट के भूतपूर्व जवान सुलेमान बारला सहरा टोली तोरपा में रहते हैं. 1971 की लड़ाई में सुलेमान बारला लेह लद्दाख में थे. ठंड का मौसम था, तब नार्मल बूट पहनकर ड्यूटी करते थे. उन्होंने कहा कि उस लड़ाई में हमने पाकिस्तान को हराया. भारतीय सैनिकों ने जो जमीन जीते थे, उसे वापस कर दिया गया. जीती हुआ जमीन वापस नहीं करते तो आज ये प्रॉब्लम ही नहीं होता. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पूर्ण रूपेण युद्ध में एक हफ्ता भी नहीं टिक पायेगा. वे बताते हैं कि उनका बेटा प्रवीण बारला भी वर्तमान में आर्मी में है.
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