इस बार लगातार हो रही बारिश ने उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं.
By SATISH SHARMA | July 5, 2025 7:54 PM
सतीश शर्मा, तोरपा. मॉनसून की शुरुआत किसानों के लिए आमतौर पर राहत और उम्मीद लेकर आती है, लेकिन इस बार लगातार हो रही बारिश ने उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. तोरपा और आसपास के इलाकों में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है. भारी बारिश ने खेतों में पानी भर दिया है, जिससे खेती के कार्य ठप पड़ गये हैं. किसानों के अनुसार धान, मक्का, मूंगफली, माडुआ और अन्य खरीफ फसलों की बुवाई का यह सबसे अहम समय होता है, लेकिन खेतों में पानी भरने के कारण न तो जुताई हो पा रही है, न ही बीज बोये जा सके हैं. जिन किसानों ने बुवाई पहले ही कर दी थी, उनकी फसलें भी जलभराव की वजह से नष्ट होने की कगार पर हैं.
क्या कहते हैँ किसान :
फिलिप बारला
दीपक भेंगरा
क्या कहते हैं वैज्ञानिक :
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ दीपक राय ने बताया कि अधिक वर्षा की स्थिति को देखते हुए में धान की नर्सरी (बिचड़ा) ऊंचे खेत में तैयार करें. क्यारियों की चौड़ाई 1-1.25 मीटर और लंबाई 8-10 मीटर रखें. साथ ही जल निकासी के लिए क्यारियों के बीच में नालियाँ बना कर पानी निकालने का उचित प्रबंध करना आवश्यक है. बीजों को बोने से पहले उपचारित करना चाहिए. अधिक बारिश से बचाव के लिए, नर्सरी को पुआल या घास से ढकना एक अच्छा उपाय है. उन्होंने कहा कि निचले खेत (दोन-1) में अगर कादो करने लायक पानी जमा हो गया हो तथा धान का बिचड़ा 20 दिनों का हो गया हो तो रोपा का कार्य आरंभ करें.
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