जयनगर. मक्का मनुष्य के साथ फसलों के लिए प्रमुख आहर है. धान से पहले किसान मक्का लगाते हैं. बारिश के दिनों में मक्के की मांग बढ़ जाती है. इसे सभी प्रकार की मिट्टी में लगाया जा सकता है. जानकारों के मुताबिक मक्के की फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी अनुकूल है. कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर, कोडरमा के एग्रोफोरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि बीज बोते समय कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें. वर्षा प्रांरभ होने के 10-15 दिन पहले बुआई करने से अधिक पैदावार होती है. बुआई के एक माह बाद पौधे पर मिट्टी चढ़ायें. उन्होंने बताया कि उन्नत बीजों में पुषा विवेक, क्यूजी फेम-9, पुषा एचडब्लू-4, डी-941, गंगा-5, शक्ति वन, पुषा हाइब्रीड-वन, शक्तिमान-वन, शक्तिमान-टू आदि शामिल हैं. निकाई गुडाई के संबंध में बताया कि बुआई के 15-20 दिन बाद निकाई गुडाई अवश्य करें. उन्होंने बताया कि हर सप्ताह इसमें लगभग एक से 1.5 इंच पानी दें. मिट्टी की नमी बनाये रखने और खर-पतवार को रोकने के लिए पौधों के चारों ओर गिली घास बिछायें. उन्होंने बताया कि मक्का की फसल को कई तरह की कीटों से बीमारी का खतरा होता है. पौधे में यदि धब्बेदार तना छेदक किट लग गया हो, तो बचाव के लिए पोरेट 10जी को 10 किलोग्राम की दर से बुआई के समय खेत में डालें, फिर बीज अंकुर के 15 दिन बाद प्रति क्विंटल 25इसी को 800 मिली लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. यह फसल 75-80 दिनों बाद तैयार होता है.
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