रंजीत बनर्जी डोमचांच. नगर पंचायत वर्ष 2018 में बना, मगर वार्ड नंबर पांच का बेलाटांड़ एक ऐसा क्षेत्र है, जो कहने को नगर पंचायत क्षेत्र में है, पर सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. वहां प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित कर वहां रह रहे लोगों से सुविधा के बारे में जानकारी ली गयी. सरकार ने डोमचांच को नगर पंचायत का दर्जा तो दे दिया, पर नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आज भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां मुलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है. लोग सुदूरवर्ती गांवों से भी खराब स्थिति में जीवन जीने को विवश हैं, कुछ इसी तरह का हाल नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड नंबर पांच के बेलाटांड़ का है. नगर पंचायत का गठन होने के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि कुछ बदलाव होगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है. भीषण गर्मी के इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी पानी की है. हम लोगों के बीच पानी को लेकर हाहाकार मचा है. जंगल से सटा हम लोगों का गांव पड़ता है. पूरे गांव की प्यास बुझाने के लिए मात्र एक चापानल है, उससे भी दूषित पानी निकलता है. यहां शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है. लखन दास, ग्रामीण बेलाटांड़ गांव के लिए मात्र एक चापानल सहारा है, उससे भी दूषित पानी आता है. इस गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. शौचालय की भी समस्या है. ग्रामीण अभी से ही पेयजल संकट से जूझने लगे हैं, शौचालय के अभाव में स्वच्छ भारत का सपना पूरा नहीं होता दिख रहा है. आंगनबाडी केंद्र नहीं होने कारण नौनिहालों को पोषक तत्व व मूलभूत शिक्षा नहीं मिल पा रही है. रीना देवी, ग्रामीण नगर पंचायत से मिलने वाली सुविधा नदारद है, सिर्फ होल्डिंग टैक्स मांगने आते हैं. हम लोग जंगल में रहते हैं. हमलोग स्नान करने के लिए अंबादाह खदान में जाते हैं. यहां सफाई कर्मी कभी नहीं आता है. शाम होते ही गांव में अंधेरा छा जाता है. किसी भी बिजली खंभे में लाइट नहीं लगायी गयी है. जंगली जानवर घर के पास भी आ धमकते हैं. हमेशा डर बना रहता है. मुनिया देवी, ग्रामीण यहां पानी की बहुत दिक्कत है. साफ-सफाई को लेकर एक डस्टबिन तक की व्यवस्था नगर पंचायत ने नहीं की है. शौचालय की भी समस्या है. उन्होंने कहा कि बेलाटांड़ को नगर पंचायत से हटा कर ग्राम पंचायत में जोड़ा जाये. बेलाटांड़ में लोग जर्जर कुआं से पानी लाते हैं. गिरने का भय बना रहता है. विमला देवी, ग्रामीण
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