महुआडांड़़ प्रखंड के संत जेवियर्स महाविद्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में सोमवार को लिम्फैटिक फाइलेरिया के नियंत्रण और उन्मूलन को लेकर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में अंश भगत ने इस रोग के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि लिम्फैटिक फाइलेरिया, जिसे हिंदी में हाथी पांव कहा जाता है, एक परजीवी जनित रोग है जो शरीर की लिम्फ नोड्स और लिम्फ वाहिकाओं को प्रभावित करता है. यह रोग संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है. मच्छर के काटने पर परजीवी शरीर में प्रवेश कर लसीका तंत्र में पहुंच जाता है और सूजन उत्पन्न करता है. उन्होंने बताया कि इस रोग के इलाज में एंटी पैरासाइट दवाएं और एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है. इलाज वैज्ञानिक रूप से सिद्ध प्रोटोकॉल के अनुसार किया जाता है. साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि प्रखंड के लोगों को शिविर के माध्यम से नि:शुल्क दवा उपलब्ध करायी जायेगी. अंश भगत ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि इस गंभीर बीमारी से बचाव हो सके. कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ फादर एम के जोश, अरुण गिद्ध, सुरभि सिन्हा, शशि शेखर, सुबोध मिंज, मैक्सेंटियस कुजूर, रोनित मार्सल, मनु शर्मा, अरेफुल हक और रोजी सुष्मिता तिर्की समेत कई विद्यार्थी उपस्थित थे.
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