लातेहार ़ वन अधिकार कानून 2006 के तहत लंबित सामुदायिक और व्यक्तिगत दावों के भुगतान को लेकर मंगलवार को संयुक्त ग्राम सभा मंच (बरवाडीह) व ग्राम स्वशासन अभियान के संयुक्त तत्वावधान में अनुमंडल कार्यालय परिसर में जन सुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में लातेहार जिले के गारू, मनिका, बरवाडीह और गढ़वा जिला के चिनिया से काफी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. जन सुनवाई के दौरान जेम्स हेरेंज ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि बरवाडीह प्रखंड के 22 गांवों से कुल 16050.5 एकड़ भूमि पर सामुदायिक वन अधिकार का दावा किया गया था, परंतु केवल 2.7 एकड़ भूमि को ही स्वीकृति दी गयी है. यह 99.99 प्रतिशत कटौती दर्शाता है, जो वन अधिकार कानून का खुला उल्लंघन है. लातेहार जिले में अब भी 98 सामुदायिक और 1700 व्यक्तिगत दावे लंबित हैं. जिला परिषद सदस्य कन्हाई सिंह ने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारी कानून के क्रियान्वयन में लापरवाही बरत रहे हैं. कई ग्रामीणों ने भी आरोप लगाया कि अधिकारी उन्हें डराते हैं, पशुओं को जंगल में ले जाने या लकड़ी काटने पर फर्जी मुकदमे दर्ज करते हैं और टंगी, कोड़ी, कुदाल आदि वन विभाग के लोग छीन लेते हैं. सुप्रीम कोर्ट के आयुक्त के पूर्व राज्य सलाहकार बलराम ने कहा कि दावों की स्वीकृति में कटौती चिंताजनक है. उन्होंने स्वीकृति प्रक्रिया के लिए समय-सीमा तय करने की मांग की. सामाजिक कार्यकर्ता श्यामा सिंह ने कहा कि जब तक हम अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे नहीं, तब तक हमें पट्टा नहीं मिलेगा. विश्व आदिवासी दिवस के दिन पट्टा का वितरण : एसडीओ : इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी अजय रजक ने कहा कि सभी दावों की अनुशंसा कर जिला को भेजा जा चुका है. अब तक जिले में 200 से 250 आवेदन प्राप्त हुए हैं और नियमानुसार सभी को पट्टा मिलेगा. उन्होंने 9 अगस्त, विश्व आदिवासी दिवस के दिन पट्टा वितरण की घोषणा की. कार्यक्रम का संचालन विमल सिंह और धन्यवाद ज्ञापन मिथिलेश कुमार ने किया. जन सुनवाई में सामाजिक और आदिवासी अधिकार कार्यकर्त्ता सुनील मिंज, दीपक बाड़ा, भूखन सिंह, कविता सिंह खरवार, श्यामा सिंह, महावीर परहिया, मनीता कुमारी खरवार समेत काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.
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