महुआडांड़़ बारिश की हर बूंद फगुनी देवी और उसके परिवार के लिए आफत बन गयी है. प्रखंड मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर पठार क्षेत्र के ओरसा पंचायत के चीकनीकोना गांव निवासी 72 वर्षीय वृद्ध फगुनी देवी अपने जर्जर घर में रहने को विवश है. फगुनी देवी अपने 20 वर्षीय दिव्यांग पुत्र परमेश्वर यादव तथा उसकी पत्नी और दो पोता के साथ बिना खिड़की-दरवाजे के कच्चे घर में रहने को मजबूर है. दीवारें कच्ची और छत सड़ी हुई लकड़ियों पर टिकी है. तेज हवा चलती है तो पूरा घर कांपने लगता है. वृद्ध फगुनी देवी बताती है कि पिछले साल विश्वकर्मा पूजा से पहले बारिश होने पर उसका घर गिर गया था. जिसके नीचे दबकर उसके 20 वर्षीय बेटे परमेश्वर यादव का हाथ बेकार हो गया. उसके बाद बेटा मजदूरी करने लायक नहीं रहा. घर की पूरी जिम्मेदारी फगुनी देवी और बहू के कंधे पर आ गयी. पठार क्षेत्र में गुजारा का कोई साधन नहीं है. जंगलों से सूखी लकड़ी लाकर बाजार में बेच कर किसी तरह परिवार का पेट भरता है. अब बरसात में सूखी लकड़ी नहीं मिल रही है. घर बनाने के लिए पैसा नहीं है. कई बार आवास के लिए आवेदन दे चुकी है. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. बरसात में घर के कभी भी गिर जाने का भय बना रहता है. जिसके कारण केवल भोजन बनाने और खाने तक घर पर रहती है. मौसम साफ रहा तो पेड़ों के नीचे रहती है और बारिश होता रहा तो रात में किसी दूसरे के घर के बरामदे में पूरा परिवार सो जाता है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह घर पिछले कई वर्षों से जर्जर है जो अब किसी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे रहा है. परिवार प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुका है लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली है.
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