
किस्को़ किस्को प्रखंड क्षेत्र में 1019 से अधिक किसान गो पालन को रोजगार का माध्यम बना चुके हैं. किसान दूध, गोबर खाद और बछड़ों की बिक्री से अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. गो पालक हरिओम प्रजापति ने बताया कि गाय आज समृद्धि और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गयी है. किस्को प्रखंड के किसान प्रतिदिन करीब 2000 लीटर दूध का उत्पादन कर रहे हैं. डेयरी समितियां यह दूध 35 से 71 रुपये प्रति लीटर की दर पर खरीदती है. जनवल, होंदगा, नावाडीह, चरहू और आरेया गांव की समितियों द्वारा दूध संग्रहण किया जाता है. एक गाय से प्रतिदिन आठ से 15 लीटर दूध प्राप्त होता है, जिससे किसान प्रति माह 10,000 से 25,000 रुपये तक की आय कर रहे हैं. साथ ही गोबर से खाद बनाकर उसकी बिक्री भी की जाती है, जिसकी कीमत प्रति ट्रैक्टर 3,000 से 4,000 तक होती है. बछड़ों की बिक्री से भी किसानों को लाभ हो रहा है. किसान देशी नस्ल के अलावा गिर, जर्सी जैसी अधिक दूध देने वाली गायें भी पाल रहे हैं. गो पालन के साथ कई किसान खेती भी कर रहे हैं, जिससे चारे की व्यवस्था खुद ही हो जाती है और लागत घटती है. सरकार द्वारा गाय पालन को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही है. किसानों को दूध बिक्री पर पांच रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाती है. गर्भवती महिलाओं को छह किलो घी, हरा चारा और अन्य चारा सामग्री रियायती दर पर दी जाती है. महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी गो पालन में सक्रिय हैं और दुग्ध उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. यदि सरकार द्वारा गांव-गांव में डेयरी की व्यवस्था हो तो दुग्ध उत्पादन में और वृद्धि संभव है. वर्तमान में सिर्फ पांच गांवों में ही डेयरी फार्म की व्यवस्था है. बावजूद इसके क्षेत्र में गो पालन एक सफल और लाभकारी व्यवसाय बन चुका है.
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