अवैध खनन के कारण गुम हो रही हरियाली, बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन

पौधराेपण जरूरी, पर्यावरण असंतुलित होने से मानव जीवन पर पड़ा रहा प्रतिकूल असर

By ABDHESH SINGH | June 4, 2025 8:53 PM
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साहिबगंज.5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था. पर्यावरणीय मुद्दों पर लोगों को हर साल जागरूक किया जा रहा है. कैसे पर्यावरण पर संतुलन बनाया जा सके. पर्यावरण को संरक्षित रखा जा सके, इस पर विचार-विमर्श किया जाता है. साहिबगंज भी पर्यावरण के दुष्प्रभाव से अछूता नहीं है. यहां पर भी बड़े पैमाने पर पहाड़ व वनों के अस्तित्व पर संकट है. अंधाधुंध पेड़ों की कटाई होती रही है. यहां का पर्यावरण संतुलन बिगड़ गया है. इससे हवा-पानी को लेकर बड़ी परेशानी हो रही है. जिले में वन का क्षेत्रफल 2276 हेक्टेयर है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में 572.35 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल था, जो 2023 में 574.47 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैल गया. यह आंकड़ा इंडिया फॉरेस्ट सर्वे देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार है. 22 दिसंबर 1855 को संथाल पर परगना क्षेत्र के अलग जिला बनने के बाद लंबे समय तक यह क्षेत्र घने जंगलों से आच्छादित रहा, ऊंची पहाड़ी व घने जंगलों से घिरे होने के साथ ही मां गंगा किनारे बसे होने के चलते ही ईस्ट इंडिया कंपनी ने इलाके को अपना बसेरा बनाया. आगमन की सुविधा के लिए कंपनी ने 1863 के आसपास हावड़ा से मुगलसराय तक 2924 वाया साहिब मंदिर की दूसरी सबसे लंबी रेल लाइन बिछाने का काम किया. रेल पटरी बिछाने के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों को काटा गया, तब तक यह क्षेत्र करीब 86.80 फीसदी खनिज जंगलों से घिरा था.

गुम हो रही राजमहल पहाड़ियों की हरियाली, बिहार व पश्चिम बंगाल में खपायी जाती हैं अवैध लकड़ियां :

साहिबगंज जिले में फैली राजमहल की पहाड़ियां इन दिनों लकड़ी तस्करों के लिए स्वर्ग बना हुआ है. इससे पहाड़ की हरियाली गायब हो रही है. प्रत्येक दिन पहाड़ों से लकड़ी काट कर तस्कर जंगलों में छुपा देते हैं और सूख जाने पर बिहार व पश्चिम बंगाल तक खपा देते हैं. इसे रोकने का प्रयास भी होता है, लेकिन यह नाकाफी है. वहीं उधवा पक्षी आश्रयणी जिले में पतौड़ा झील के 155 एवं बरहेट झील के 410 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है. झील में गंगा का पानी नहरों के माध्यम से आता है. साल के नौ महीने उधवा पक्षी आश्रयणी में पानी भरा रहता है. गर्मी के मौसम में पानी बहुत कम हो जाता है. वहीं संपूर्ण पक्षी आश्रयणी पहाड़ी के आसपास जहां धीरे-धीरे आबादी बढ़ती जा रही है, इस कारण हरियाली गायब होती जा रही है. साहिबगंज जिले में लकड़ी माफिया की सक्रियता बढ़ गयी है.

बोटिंग व वन कुटीर से उधवा पक्षी अभ्यारण्य में इको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा :

साहिबगंज जिले में वन क्षेत्र 305 वर्ग किमी में फैला है. बीते 6 से 7 सालों में करीब 20 लाख पौधे इस जिले में लगाये गये हैं. विभाग व प्रशासन ने आमलोगों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया. अवैध जंगल कटाई पर रोक लगाने का हरसंभव प्रयास हुआ. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सभी को सचेत होने की जरूरत है.

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