संथाली भाषा व संस्कृति अत्यंत समृद्ध, संरक्षित करने के लिए ठोस प्रयास की जरूरत

संताली लिटरेरी एंड कल्चरल सोसायटी के 50 वर्ष पूर्ण होने पर पाकुड़ में स्वर्ण जयंती समारोह को डीसी ने संबोधित किया. कहा कि अगले माह पाकुड़ में एक लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा, जो जनजातीय भाषाओं और संस्कृति पर केंद्रित होगा.

By BINAY KUMAR | April 25, 2025 9:20 PM
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पाकुड़. संताली भाषा, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए समर्पित संताली लिटरेरी एंड कल्चरल सोसायटी के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पाकुड़ स्थित जिदोतो मिशन परिसर में भव्य स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ उपायुक्त मनीष कुमार, अपर समाहर्ता जेम्स सुरीन, पंचायती राज पदाधिकारी प्रीति लता मुर्मू, झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष प्रणेश सोलोमन तथा छोटानागपुर डायसिस के बिशप रेवरेंड बीबी बास्की ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया. इस अवसर पर झारखंड सहित पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, नॉर्वे और डेनमार्क से भी प्रतिनिधियों ने समारोह में भाग लिया. डीसी मनीष कुमार ने कहा कि संथाली भाषा और संस्कृति अत्यंत समृद्ध है. इसे संरक्षित करने के लिए ठोस प्रयास की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अगले माह पाकुड़ में एक लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा, जो जनजातीय भाषाओं और संस्कृति पर केंद्रित होगा. पंचायती राज पदाधिकारी प्रीतिलता मुर्मू ने कहा कि संथाली साहित्य की मजबूत परंपरा रही है और रोमन लिपि में कई महत्वपूर्ण रचनाएं पहले ही हो चुकी हैं. अब जरूरत है कि इन्हें मानक लिपि में विकसित कर आम जन तक पहुंचाया जाए. सोसायटी के झारखंड सचिव जयराज टुडू ने बताया कि वर्ष 1973 में पाकुड़ में ही संथाली भाषा पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित हुआ था. उसी ऐतिहासिक आयोजन की 50वीं वर्षगांठ पर यह समारोह मनाया जा रहा है. उन्होंने संथाली साहित्य की अब तक की यात्रा पर आत्ममंथन कर आगे की दिशा तय करने की आवश्यकता पर बल दिया. वहीं, ऑल इंडिया संताल वेलफेयर एंड कल्चरल सोसायटी के महासचिव डॉ तोनोल मुर्मू ने कहा कि वर्तमान तकनीकी युग में संथाली भाषा में भी वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली विकसित करना जरूरी है. साथ ही, संथाल परगना में बोली जाने वाली भाषा को मानक संथाली भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए. इस अवसर पर रेवरेंड रोशन हांसदा, डॉ. डोमिनिक मरांडी, गेब्रियल सोरेन, रमेश चंद्र किस्कू, आलाकजाड़ी मुर्मू, दिलीप हेंब्रम, सुधीर कुमार मित्रा, भरत टुडू, राजशेखर मरांडी, गुरु नागेंद्र नाथ हेंब्रम, मनोरंजन सोरेन, छवि हेंब्रम, डॉ भागवत मरांडी, मथियस बेसरा समेत कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे.

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