इंटरनेट पर फैल रही अश्लीलता, नैतिक मूल्यों की नींव रखनी जरूरी

इंटरनेट पर फैल रही अश्लीलता, नैतिक मूल्यों की नींव रखनी जरूरी

By RAGHAV MISHRA | July 22, 2025 5:55 PM
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महिला संवाद. महिलाओं ने रखी अपनी बात, डिजिटल दुनिया में चुनौतियों पर रखे विचार

शहर के नीमतल्ला में प्रभात खबर की ओर से महिला संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में नीमतल्ला की महिलाएं शामिल हुईं. महिलाओं ने इंटरनेट के माध्यम से फैल रही अश्लीलता पर खुलकर अपने विचार रखे. उपस्थित महिलाओं ने कहा कि अश्लीलता देश व समाज के लिए अभिशाप बनती जा रही है. समाज में बढ़ती अश्लीलता का कारण वर्तमान परिवेश में आया व्यापक बदलाव है. इससे बच्चों के नैतिक मूल्यों में कमी आती जा रही है. यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो भविष्य में इसके गंभीर दुष्परिणाम सभी को भुगतने पड़ेंगे.बताया गया कि सभी को संगठित होकर इस कोढ़ को समाज से मिटाना होगा. समय रहते इसका समाधान करना आवश्यक है. अपने बच्चों को अपनी संस्कृति से अवगत कराना होगा और उन पर ध्यान देना होगा कि वे कहां जा रहे हैं और क्या कर रहे हैं. बच्चों को सोशल मीडिया, इंटरनेट एवं अन्य सोशल साइट्स के गुण-दोष से अवगत कराना आवश्यक है. कहा गया कि संस्कार की नींव बचपन में ही डाली जाती है. बच्चे देश की सभ्यता और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. यदि इस पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में इसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ेगा.बताया गया कि आजकल इंटरनेट की दुनिया ने बच्चों को उनके दादा-दादी और नाना-नानी से भी दूर कर दिया है.

कहती हैं महिलाएं

इंटरनेट का प्रचलन हो जाने से आजकल के बच्चों का मानसिक विकास समय से पहले हो रहा है. छोटे-छोटे बच्चे अश्लीलता की बातें करने लगे हैं. इस पर विराम लगाना बहुत जरूरी है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में देश के सामने उभरेगा.भागीरथी घोषइंटरनेट की दुनिया सभ्यता और संस्कृति को नष्ट कर रही है. बच्चों के सामने मोबाइल चलाना कठिन होता जा रहा है. मोबाइल खोलते ही तरह-तरह की अश्लील सामग्री सामने आने लगती है. वर्तमान समय में इस पर रोक लगाना बहुत जरूरी है.पूर्णिमा मंडलमां बच्चों की पहली गुरु होती है. संस्कार की शुरुआत घर से होती है. हमें इंटरनेट से अधिक बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाना और उन्हें रिश्तों का सम्मान करना सिखाना होगा. बच्चों को परिपक्वता तक इंटरनेट से दूर रखना चाहिए.शीला बोसाकआजकल अधिकतर लोग मोबाइल की दुनिया में व्यस्त रहते हैं. एक ही घर में रहते हुए लोग एक-दूसरे की दिनचर्या से अनभिज्ञ रहते हैं. यह काफी सोचने योग्य विषय है. इस पर लोगों को ध्यान देने की आवश्यकता है.नुपूर मंडलअति हर चीज की बुरी होती है. मोबाइल की अधिक लत भी बच्चों के लिए एक ओर वरदान, तो दूसरी ओर अभिशाप बनती जा रही है. कम उम्र में ही बच्चे परिपक्व हो रहे हैं. यह एक गंभीर विषय है.वंदना घोषआजकल समाज और परिवार में जितनी भी दूरियां आ रही हैं, उसका मुख्य कारण सोशल साइट्स हैं. बीस-पच्चीस साल पहले मोबाइल नहीं था, तब इतनी अश्लीलता नहीं थी. मोबाइल की दुनिया ने जहां सुविधा दी है, वहीं बर्बादी का कारण भी बनी है.मिनेती घोषसमाज में बढ़ती अश्लीलता का कारण वर्तमान परिवेश, तकनीकी प्रगति और शहरीकरण को माना जा सकता है. इसके चलते बच्चे बिगड़ रहे हैं. इस पर रोक लगाना आवश्यक है.सेमेली घोषमौजूदा समय में अश्लीलता हमारे परिवार, समाज और देश की विकट समस्या बनती जा रही है. महिलाओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को परंपरा, संस्कृति और संबंधों की अहमियत बताएं. बच्चों को देर तक मोबाइल नहीं देना चाहिए.पुतुल घोषआजकल अधिकांश लोग मोबाइल का अधिक उपयोग करते हैं और उसे ही जीवन की लाइफलाइन समझने लगे हैं. यदि मोबाइल का इस्तेमाल कम कर घर का वातावरण मैत्रीपूर्ण बनाया जाए तो समाज और देश पर पड़ने वाला बुरा असर काफी कम हो जाएगा.रिंकू घोषभारतीय संस्कृति को सहेजने की आवश्यकता है. हमें अपनी विरासत को संभालना है. सोशल साइट्स पर परोसी जा रही अश्लीलता का दुष्परिणाम आज के युवक-युवतियों पर पड़ रहा है. बच्चे स्मार्टफोन का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें दूर रखना होगा.रेखा घोष

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