रमेश भगत, पाकुड़. पाकुड़ जिला तेजी से विकास कर रहा है, जहां नए-नए व्यवसायिक प्रतिष्ठान, अस्पताल, होटल और सरकारी भवन बन रहे हैं. हालांकि, इस विकास के बीच फायर सेफ्टी को लेकर गंभीर लापरवाही देखी जा रही है. शहर के बड़े-बड़े होटल, नर्सिंग होम और अन्य भीड़भाड़ वाले संस्थान फायर सेफ्टी मानकों को अनदेखा कर रहे हैं. आग लगने की स्थिति में इसका खामियाजा केवल संचालकों को नहीं, बल्कि वहां मौजूद आम लोगों को भी भुगतना पड़ सकता है और यह जानलेवा साबित हो सकता है. अक्सर देशभर में ऐसी घटनाएं देखी जाती हैं जहां फायर सेफ्टी इंतज़ाम न होने के कारण आग लगने पर कई लोगों की जान चली जाती है. ऐसे में पाकुड़ जिले में फायर सेफ्टी को लेकर बरती जा रही लापरवाही किसी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे सकती है. वहीं दूसरी ओर अग्निशमन विभाग लगातार फायर सेफ्टी को लेकर जागरुकता अभियान चला रहा है. स्कूलों और कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को आग से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं. फिर भी जिले के अधिकांश बड़े प्रतिष्ठान और अस्पताल इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं. फायर विभाग की जानकारी के अनुसार अब तक जिले के केवल 16 प्रतिष्ठानों ने ही फायर सेफ्टी के लिए अनिवार्य एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) हासिल किया है. इसमें प्रमुख रूप से डीएवी स्कूल, डीपीएस स्कूल, पाकुड़ नर्सिंग होम, रिलायंस स्मार्ट, शिवम गारमेंट्स, सत्यनारायण सज्जन कुमार कपड़ा दुकान, चांदपुर नर्सिंग होम आदि शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी अस्पतालों में सिर्फ सदर अस्पताल सोनाजोड़ी और सीएचसी महेशपुर को ही फायर एनओसी प्राप्त है. अन्य सरकारी अस्पतालों के लिए यह प्रक्रिया अभी जारी है. सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र कुमार मिश्रा ने आश्वासन दिया है कि सभी अस्पतालों को जल्द ही फायर एनओसी दिलवाने की कार्रवाई की जा रही है.
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