बड़ा कुड़िया के ग्रामीण झरने के दूषित पानी से बुझाते हैं अपनी प्यास, फैला डायरिया
लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बड़ा कुड़िया गांव में मवेशी व इंसान दोनों एक ही झरने का पानी पीते हैं. दूषित पानी पीने की वजह से गांव में डायरिया फैल गया है.
By Prabhat Khabar News Desk | August 29, 2024 10:34 PM
लिट्टीपाड़ा. प्रखंड के बड़ा कुड़िया गांव के लोग आज भी झरने के दूषित पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं. ग्रामीण रामी पहाड़िन, चांदी पहाड़िन, सिमोन पहाड़िया, दुखना पहाड़िया, जावरी पहाड़िन, रामी पहाड़िन ने बताया कि गांव में 18 परिवार के लगभग 218 लोग आज भी झरने का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि झारखंड अलग हुए 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव में ना एक चापाकल लगा और ना ही झरना कूप का निर्माण हुआ. ग्रामीण आज भी गांव से लगभग आधा किलोमीटर दूर पहाड़ी तलहटी पर बने झरना से पानी लाते हैं. एक ही झरना से मवेशी और इंसान दोनो ही पानी पीते हैं. बताया कि बारिश की वजह से झरने का पानी में बारिश के पानी से मिल कर गंदा हो जाता है जिससे हम ग्रामीणों को डायरिया, मलेरिया और ब्रेन मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार होना पड़ रहा है.
गांव तक सड़क होती तो बच सकती थी जान :
गांव तक जाने के लिए नहीं है सड़क :
प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर चारों ओर पहाड़ों से घिरा बड़ा कुड़िया गांव जाने के लिए सड़क नहीं है. गांव तक सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीण आज भी उबड़-खाबड़ पथरीली पगडंडी के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव से मुख्य सड़क तक लगभग चार किलोमीटर सड़क बन जाने से हमलोगों की तस्वीर और तकदीर बदल सकती है. चार किलोमीटर सड़क नहीं होने के कारण हमलोग बड़ा कुड़िया सहित छोटा मलगोड़ा, बड़ा मलगोड़ा, छुरिधारी, दुमरभिठाव के हजारों ग्रामीणों को आवागमन के साथ-साथ लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो सका है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं होने के कारण गांव में बीमार होने वाले लोग समय पर इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. साथ ही गर्भवती महिलाएं घर पर ही बच्चे को जन्म देने को मजबूर हैं.
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