संवाददाता, पाकुड़. डीपीएस के सभागार में कॉन्फेडरेशन ऑफ झारखंड सहोदया के तत्वावधान में शिक्षकों को नयी शिक्षा नीति पर प्रशिक्षित करने के उद्देश्य रविवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें सहोदया स्कूल कॉम्प्लेक्स गोड्डा, पाकुड़ और साहिबगंज शामिल है. कार्यक्रम का मुख्य विषय सीबीएसई द्वारा निर्देशित विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीइएम-डीएलडी) का जिलास्तर पर क्रियान्वयन पर विचार-विमर्श था. कार्यशाला में डीएवी पाकुड़, जेएनवी तेलियापोखर एवं जेएनवी बागशिशा, संत डॉन बॉस्को, एलीट पब्लिक स्कूल से आए शिक्षकों ने प्रशिक्षक बनकर सहयोगात्मक लर्निंग, गणित, कंप्यूटर, हिंदी, इंग्लिश, विज्ञान, साइबर सेफ्टी से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को साझा कर विषयों को रुचिकर बनाने, लर्निंग को बढ़ावा देने को लेकर जानकारी दी. बतौर मुख्य अतिथि डीपीएस पाकुड़ के निदेशक अरुणेंद्र कुमार, वेन्यू डायरेक्टर झारखंड सहोदया कॉन्फेडरेशन पाकुड़ के ट्रेनिंग समन्वयक एवं डीपीएस के प्रधानाचार्य जेके शर्मा, को-ऑर्डिनेटर एवम रिसोर्स पर्सन सौरिस दत्ता, डीपीएस के स्कूल प्रशिक्षण नोडल समन्वयक दिनाबंधु सेन, प्रशिक्षक और शिक्षक मौज़ूद थे. झारखंड सहोदया के चेयरमैन प्रणेश सोलेमन ने भी ऑनलाइन कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लिया और सभी प्रशिक्षकों को प्रोत्साहित किया. बतौर मुख्य अतिथि डीपीएस के निदेशक अरुणेंद्र कुमार ने सभी शिक्षाविदों का शिक्षा के क्षेत्र में दिए जा रहे योगदान की सराहना की. शिक्षक प्रशिक्षण के उपयोगिता पर प्रकाश डाला. कहा कि आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जमाने में सभी शिक्षकों को पारंपरिक शिक्षण पद्धति के साथ-साथ नयी शिक्षा पद्धति की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है. इससे शिक्षकों को नवीनतम शिक्षण विधियों, कौशल और ज्ञान प्राप्त होता है, जिससे वे छात्रों को बेहतर ढंग से सिखाने में सक्षम होते हैं. उन्होंने शिक्षकों के समक्ष माउंटेन मैन दशरथ मांझी का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां चाह वहां राह को साकार किया जा सकता है. प्रधानाचार्य जेके शर्मा ने अपने संबोधन में नयी शिक्षा नीति के खूबियों का वर्णन किया. बताया कि यदि शिक्षकों को अपना कार्य उच्चतम संभव मानक पर करना है, तो उन्हें प्रभावी और कुशलतापूर्वक प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है. संचालन अध्यापक कौत्सव चटर्जी ने किया.
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