12 साल पहले लापता शिक्षक की पत्नी को आदेश के बाद भी नहीं मिली पेंशन

12 साल पहले लापता शिक्षक की पत्नी को आदेश के बाद भी नहीं मिली पेंशन

By Prabhat Khabar News Desk | May 11, 2025 6:15 PM
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रमेश भगत, पाकुड़ : 12 साल पहले लापता हुए शिक्षक एमानुएल हांसदा की पत्नी कंचनलता खलखो आज भी पेंशन और अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही हैं. उनके पति के लापता होने के दस साल बाद, 20 जुलाई 2023 को जिला स्थापना समिति ने एमानुएल हांसदा की गुमशुदगी को स्वीकार करते हुए, उनकी आश्रित पत्नी को सभी लाभ एक सप्ताह के भीतर दिलाने का निर्देश पाकुड़ के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (बीईईओ) को दिया था. लेकिन एक साल से अधिक बीत जाने के बावजूद कंचनलता को अब तक कोई लाभ नहीं मिला है और वे लगातार कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. इस मामले को लेकर 9 मई 2025 को कंचनलता खलखो जिला समाहर्ता के जनता दरबार में अपनी शिकायत लेकर पहुँचीं. वहां अपर समाहर्ता ने उनकी समस्याएं सुनीं और जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया. जनता दरबार में सौंपे गए आवेदन में कंचनलता ने बताया कि उनके पति 09 अक्टूबर 2013 को अचानक लापता हो गए थे. वे पाकुड़ प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय जादुपुर में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत थे. इस संबंध में नगर थाना में सन्हा दर्ज कराया गया था. इस दर्ज सन्हा के आधार पर, जिला स्थापना समिति की 20 जुलाई 2023 को हुई बैठक में सर्वसम्मति से एमानुएल हांसदा के लापता होने को सत्य माना गया और उनके आश्रित परिवार को झारखंड पेंशन नियमावली 33(2) के अंतर्गत देय लाभ देने का निर्णय लिया गया. बीइइओ तथा निकासी व्ययन पदाधिकारी को निर्देश दिया गया था कि वे कंचनलता खलखो से संपर्क कर आवश्यक दस्तावेज, जैसे पेंशन आवेदन और अन्य लाभ संबंधी कागजात, जिला शिक्षा कार्यालय को पत्र निर्गत होने की तिथि 31 जुलाई 2023 के एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराएं. लेकिन अब इस आदेश को लगभग दो वर्ष पूरे हो चुके हैं, फिर भी विभाग को जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही कंचनलता खलखो का परिवार अब और भी कठिनाइयों में घिरता जा रहा है. दूसरी ओर, संबंधित अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे महिला को जनता दरबार में अपनी गुहार लगानी पड़ी.

इस मामले की जानकारी है. उन्होंने कहा कि आश्रित पत्नी से सर्विस बुक और अन्य दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन अब तक उन्हें कोई दस्तावेज नहीं मिला है. जब उनसे यह पूछा गया कि विभागीय दस्तावेज आवेदिका कैसे उपलब्ध कराएगी, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.

क्या कहते हैं संघ के पदाधिकारी

मामला काफी गंभीर है. शिक्षक के लापता होने के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिती काफी दयनीय है. उनके पास कार्यालयों का चक्कर काटने तक के पैसे की कमी है. 12 साल बीत गये लेकिन अब तक शिक्षक की पत्नी को उनके हक और अधिकार का लाभ नहीं मिल पाया है. महिला ने जनता दरबार में गुहार लगायी है, यदि इस पर कोई सुनवाई नहीं होती है तो संघ अपने स्तर से कदम उठायेगा.

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बीइइओ ने विभाग की जगह शिक्षक की पत्नी से ही मांग दी सर्विस बुक

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