
वरीय संवाददाता, रांची. सुप्रीम कोर्ट ने बोकारो के चास के तेतुलिया मौजा की जमीन के मामले में डीएफओ और आरसीसीएफ को न्याय प्रक्रिया में अवरोध पैदा करने के लिए अवमानना का दोषी करार देने के फैसले को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने दो आइएफएस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के मामले में सजा सुनाने पर रोक लगा दी. साथ ही 74.38 एकड़ भूमि पर यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दिया. अगली तिथि पर जमीन के वनभूमि होने से संबंधित दस्तावेज के साथ सक्षम पदाधिकारियों की ओर से आवश्यक दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह के बाद होगी. झारखंड सरकार ने हाइकोर्ट द्वारा बोकारो के वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) रजनीश कुमार व क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) डी वेंक्टेश्वरला को अवमानना के मामले में दोषी करार देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उल्लेखनीय है कि उमायुष मल्टीकॉम प्रालि की अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद झारखंड हाइकोर्ट ने वन विभाग के वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) व क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) को दोषी करार दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में सजा नहीं सुनायी थी. साथ ही दोषी करार दिये गये अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया था. अवमानना मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 14 जुलाई की तिथि निर्धारित की है. प्रार्थी ने अवमानना याचिका दायर कर कार्रवाई करने की मांग की है. उसका कहना है कि तेतुलिया की 74.38 एकड़ जमीन के मामले में हाइकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को लागू करने में वन विभाग के अधिकारी अवरोध पैदा कर रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है