Seraikela Kharsawan News : मॉनसून की मेहरबानी से मछली का बंपर उत्पादन संभव, कोल्हान में 70,500 टन का लक्ष्य
खेती-किसानी : मत्स्य उत्पादन में राज्य को आत्मनिर्भर बनने पर जोर
By ATUL PATHAK | July 30, 2025 11:36 PM
खरसावां. मछली उत्पादन में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने पर तेजी से काम चल रहा है. मत्स्य निदेशालय ने इस वर्ष राज्य में 4.10 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 38 मीट्रिक टन अधिक है. पिछले वर्ष राज्य में 3.73 लाख टन मछली उत्पादन का लक्ष्य था. कोल्हान के तीन जिले सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम व पूर्वी सिंहभूम जिला में इस वर्ष 70.5 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन की योजना है. सरायकेला-खरसावां में 29 हजार मीट्रिक टन, पूर्वी सिंहभूम में 21,500 मीट्रिक टन व पश्चिमी सिंहभूम जिले में 20 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य है. इस वर्ष मॉनसून की मेहरबानी से मछली का अच्छा उत्पादन होने की संभावना है. पिछले वर्ष (2024-25) कोल्हान में कुल 61200 मीट्रिक टन मछली को उत्पादन हुआ था. सरायकेला-खरसावां में 24,200 मीट्रिक टन, पूर्वी सिंहभूम में 19500 मीट्रिक टन व पश्चिमी सिंहभूम जिले में 17500 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था.
राज्य में सर्वाधिक लक्ष्य सरायकेला-खरसावां को
सरायकेला के पांच व पश्चिम सिंहभूम के छह जलाशयों में हो रह पालन
सरायकेला-खरसावां जिले के पांच बड़े जलाशयों के साथ करीब 5400 छोटे-बड़े सरकारी व निजी तालाब में मत्स्य पालन होता है. पश्चिम सिंहभूम के 6 बड़े जलाशय समेत करीब 7750 छोटे-बड़े सरकारी व निजी तालाबों में मत्स्य पालन होता है. पनसुंआ व नकटी जलाशय व खदानों के गड्ढों में केज कल्चर से मछली की खेती होती है.