Seraikela Kharsawan News : तसर खेती के लिए मौसम अनुकूल, किसान खुश
देश का 70% और झारखंड का 40% तसर-कोसा उत्पादन कोल्हान में होता है
By ATUL PATHAK | July 13, 2025 10:29 PM
खरसावां. कोल्हान में अर्जुन व आसन के पेड़ों में तसर कीट का पालन शुरू हो गया है. राज्य व केंद्र सरकार भी यहां तसर कोसा की उपज को बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है. तसर रेशम के उत्पादन के मामले में झारखंड देशभर में अव्वल है. पूरे देश का 70 फीसदी तसर उपज झारखंड में होता है. झारखंड का 40 फीसदी उपज कोल्हान में होता है. वर्ष 2025-26 में झारखंड में 1800 मीट्रिक टन तथा कोल्हान में 750 मीट्रिक टन तसर रेशम के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोल्हान समेत पूरे राज्य में तसर कीट पालन शुरू कर दिया गया है. स्थानीय अग्र परियोजना केंद्रों में उत्पादित डीएफएल (तसर के अंडे) के साथ पड़ोसी राज्यों में उत्पादित डीएफएल किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
कोल्हान में पिछले दो साल से बढ़ा है तसर कोसा का उत्पादन
कोल्हान में तसर की खेती से करीब 25 हजार किसान जुड़े हैं
तसर की खेती के लिये अनुकूल है मौसम
इस वर्ष तसर की खेती के लिये मौसम अनुकूल है. राज्य के सिल्क जोन के रूप में विख्यात खरसावां-कुचाई क्षेत्र में इस वर्ष मॉनसून सही समय पर आने से तसर के अंडों (डीएफएल) का उत्पादन भी सही समय पर हुआ है. अर्जुन आसन के पेड़ों पर तसर कीट की रक्षा के लिए पेड़ों को नेट से ढंक कर रखा गया है. रेशम दूत स्वयं खेतों में जाकर रेशम कीटों की रखवाली कर रहे हैं.
साल में दो बार होती है तसर की खेती
साल में दो बार तसर कोसा की खेती होती है. जुलाई के पहले सप्ताह में ही पहली फसल के लिए कीटपालन शुरू हो जाता है. कीट से तसर कोसा बनाने की प्रक्रिया में 30 से 35 दिनों का समय लगता है. अगस्त माह से ही तसर कोसा बन जाता है. फिर इसी कोसा से ही ग्रेनेज कर अक्तूबर माह में दूसरी फसल के लिए कीटपालन किया जाता है. इसमें 55 से 60 दिनों में तसर कोसा बनकर तैयार हो जाता है.
तसर कोसा का जीवन चक्र
खरसावां-कुचाई में तैयार होता है ऑर्गेनिक रेशम
कोल्हान के इन क्षेत्रों में होती है तसर की खेती:
झारखंड में कच्चे रेशम उत्पादन का वर्षवार डाटा : –
वित्तीय वर्ष
कच्चे रेशम का
उत्पादन
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