Jharkhand News: सरायकेला-खरसावां में महिलाओं ने सिंदूर खेला के साथ दी मां दुर्गा को विदाई, जानें इसका महत्व

Jharkhand News: सरायकेला-खरसावां के विभिन्न पूजा पंडालों में सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर खेला किया. इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं. सबसे पहले महिलाओं ने माता को सिंदूर अर्पित किया.

By Sameer Oraon | October 12, 2024 3:51 PM
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Jharkhand News, सरायकेला, शचींद्र कुमार दाश: विजयादशमी के मौके पर सरायकेला खरसावां में महिलाओं ने सिंदूर खेलकर नम आंखों से मां दुर्गा को विदाई दी. इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्यवती की कामना मां दुर्गा से की. इसके बाद कलश का विसर्जन किया गया.

सरायकेला खरसावां के विभिन्न पूजा पंडालों में सिंदूर खेला

शनिवार को विजयादशमी के मौके पर सरायकेला-खरसावां के विभिन्न पूजा पंडालों में सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर खेला किया. खरसावां के राजखरसावां के ठाकुरबाड़ी पूजा पंडाल, रेलवे कॉलोनी व नया बाजार स्थित आनंद ज्ञान मंदिर पूजा पंडाल समेत सरायकेला के पूजा पंडालों के सामने विजया दशमी पर सिंदूर खेला का आयोजन किया गया. महिलाओं ने पहले मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया. इसके पश्चात सुहागिन महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया. इस दौरान बड़ी संख्या में महिलायें मौजूद रहीं.

खरसावां के विभिन्न पंडालों में रविवार को होगा सिंदूर खेला

खरसावां के तलसाही, बेहरासाही समेत को पंडालों में रविवार को विजयादशमी मनाया जायेगा. इन पंडालों में रविवार को सिंदूर खेला होगा. वहीं, खरसावां व आमदा के पंडालों में स्थापित मां दुर्गा के प्रतिमाओं का विसर्जन रविवार को किया जायेगा. आमदा के पंडालों में स्थापित पंडालों के कलश का विसर्जन शनिवार को होगा.

दशहरा में सिंदूर खेला का है विशेष महत्व

विजयादशमी पर सिंदूर खेला को महत्वपूर्ण रस्म मान जाता है. शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन दुर्गापूजा और दशहरा के अवसर पर महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. जिसे सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है. इस दिन पंडाल में मौजूद सभी सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती है. यह खास उत्सव मां की विदाई के रूप में मनाया जाता है.

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महिलाएं सुहाग की लंबी उम्र करती है कामना

सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श करते हुए उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इसके बाद मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है. यह उत्सव महिलाएं विसर्जन या दशमी के दिन मनाती हैं. माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं. इन्हीं 10 दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसके बाद 10वें दिन माता पार्वती अपने घर भगवान शिव के पास वापस कैलाश पर्वत चली जाती है.

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