Jharkhand News: झारखंड में तीन साल से लगातार घट रहा तसर का उत्पादन, किसानों पर संकट

Jharkhand News: झारखंड में 2021-22 से तसर का उत्पादन लगातार घटते चला गया है. कोल्हान को तसर जोन माना जाता है, लेकिन इस वर्ष यहां इसकी खेती प्रभावित हुई है.

By Sameer Oraon | December 9, 2024 6:00 AM
an image

खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : झारखंड में तसर उद्योग को बढ़ावा देने को केंद्र व राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इस वर्ष कोल्हान में तसर की खेती प्रभावित हुई है, जबकि संताल परगना में ठीक-ठाक खेती हुई है. इस वर्ष राज्य में एक हजार से 1300 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन की संभावना है. फिलहाल, ग्रामीण क्षेत्रों से उत्पादित तसर कोसा का संग्रहण चल रहा है. इसके बाद वास्तविक आंकड़ा का पता चलेगा. झारखंड में वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2020-21 तक औसतन 2000 मीट्रिक टन से अधिक कच्चे रेशम का उत्पादन होता था. वर्ष 2021-22 से उत्पादन लगातार घटते चला गया. अब फिर कच्चे रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने की तैयारी चल रही है.

अक्तूबर में ‘दाना’ चक्रवात से कोल्हान में खेती को नुकसान

कोल्हान प्रमंडल को झारखंड का तसर जोन माना जाता है. इस वर्ष यहां खेती को करीब 35 फीसदी नुकसान पहुंचा है. दरअसल, 25 से 29 अक्तूबर तक चक्रवात ‘दाना’ के प्रभाव से हुई बारिश से उत्पादन प्रभावित हुआ. खरसावां व कुचाई के साथ टोकलो, हाटगम्हरिया, भरभरिया, बंदगांव, मनोहरपुर, गोइलकेरा आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर तसर कीट मरने के साथ-साथ संक्रमित हुए.

ऑर्गेनिक रेशम उत्पादन में आगे है कोल्हान

झारखंड का खरसावां-कुचाई ऑर्गेनिक रेशम उत्पादन के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां रेशम कीट पालन से लेकर कोसा उत्पादन तक में रसायन का उपयोग नहीं होता है. यहां के कुकून की काफी मांग है. सरकार ने उच्च कोटी के तसर कोसा की न्यूनतम कीमत 5.65 रुपये रखी है. अन्य प्रदेशों से आये व्यापारी खुले बाजार में छह रुपये की दर से खरीदारी कर रहे हैं.

Also Read: Deoghar News: बाबा मंदिर के गर्भगृह और शिवलिंग की पौराणिकता के साथ छेड़छाड़, पुरोहितों में आक्रोश

राज्य का 35 फीसदी तसर का उत्पादन कोल्हान में

देश में उत्पादित तसर में 60 से 65 प्रतिशत झारखंड में होता है. पूरे राज्य के 35 फीसदी तसर कोसा का उत्पादन कोल्हान में होता है. देश में वर्तमान में 3.5 लाख लोग तसर आधारित कारोबार से जुड़े हैं. इनमें 2.2 लाख लोग झारखंड के विभिन्न हिस्सों में जुड़े हैं.

तसर को बढ़ावा देने पर जोर

झारखंड में तसर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित जेएसएलपीएस ने महिलाओं को खेती से जोड़ा है.

क्या कहते हैं किसान

अक्तूबर में हुई बारिश से इस वर्ष दूसरे चरण के तसर की खेती प्रभावित हुई. बड़ी संख्या में तसर के कीट मरने के साथ-साथ संक्रमित हुए. तसर कोसा ठीक ढंग से नहीं बन पाया.

हमेश्वर उरांव, तसर किसान, कुचाई

इस वर्ष लक्ष्य के अनुरूप कच्चे रेशम का उत्पादन नहीं हो सका है. पहले चरण में मॉनसून की देरी व दूसरे चरण में चक्रवात के कारण तसर की खेती को खासा नुकसान पहुंचा.

सुजन सिंह चौड़ा, रेशम दूत, बायांग, कुचाई

झारखंड में कच्चा रेशम उत्पादन की स्थिति

वित्तीय वर्ष : कच्चे रेशम का उत्पादन
2013-14 : 2000 मीट्रिक टन
2014-15 : 1943 मीट्रिक टन
2015-16 : 2281 मीट्रिक टन
2016-17 : 2630 मीट्रिक टन
2017-18 : 2217 मीट्रिक टन
2018-19 : 2372 मीट्रिक टन
2019-20 : 2399 मीट्रिक टन
2020-21 : 2184 मीट्रिक टन
2021-22 : 1051 मीट्रिक टन
2022-23 : 874 मीट्रिक टन
2023-24 : 1127 मीट्रिक टन
2024-25 : 1300 मीट्रिक टन (संभावित)

Also Read: झारखंड में बीजेपी का सदस्यता संगठन महापर्व 22 दिसंबर से, सभी जिलों में होगीं कार्यशालाएं

संबंधित खबर और खबरें

यहां सरायकेला खरसावाँ न्यूज़ (Seraikela Kharsawan News) , सरायकेला खरसावाँ हिंदी समाचार (Seraikela Kharsawan News in Hindi), ताज़ा सरायकेला खरसावाँ समाचार (Latest Seraikela Kharsawan Samachar), सरायकेला खरसावाँ पॉलिटिक्स न्यूज़ (Seraikela Kharsawan Politics News), सरायकेला खरसावाँ एजुकेशन न्यूज़ (Seraikela Kharsawan Education News), सरायकेला खरसावाँ मौसम न्यूज़ (Seraikela Kharsawan Weather News) और सरायकेला खरसावाँ क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version