सीएम हेमंत सोरेन खरसावां गोलीकांड की बरसी पर शहीदों को देंगे श्रद्धांजलि, विधायक दशरथ गागराई ने किया आमंत्रित

Kharsawan Firing Anniversary: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन खरसावां गोलीकांड की बरसी पर एक जनवरी 2025 को शहीदों को श्रद्धांजलि देने खरसावां आएंगे. विधायक दशरथ गागराई ने उन्हें शहीद दिवस के लिए आमंत्रित किया.

By Guru Swarup Mishra | December 30, 2024 9:00 PM
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Kharsawan Firing Anniversary: खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश-खरसावां विधायक दशरथ गागराई सोमवार को रांची के प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से एक जनवरी 2025 को खरसावां में आयोजित होनेवाले शहीद दिवस (खरसावां गोलीकांड की बरसी) पर शिरकत करने का आग्रह किया. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वे शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक जनवरी को खरसावां पहुंचेंगे.

कल्पना सोरेन संग पहुंचेंगे सीएम हेमंत सोरेन


खरसावां के विधायक दशरथ गागराई ने बताया कि खरसावां शहीद दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सहमति दे दी है. सीएम 1 जनवरी 2025 को यहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इस दौरान सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी सह गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन भी मौजूद रहेंगी. राज्य सरकार के मंत्री दीपक बिरुवा, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, सिंहभूम की सांसद जोबा माझी, खूंटी के सांसद कालीचरण मुंडा समेत अन्य विधायक भी मौजूद रहेंगे.

1 जनवरी को मनायी जाती है खरसावां गोलीकांड की बरसी


खरसावां गोलीकांड आजाद भारत का पहला सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है. एक जनवरी 1948 को खरसावां हाट में अपने हक के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर अंधाधुंध फायरिंग की गयी थी. गोलीकांड की जांच के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई. घटना में कितने लोग मारे गए? इसका कोई दस्तावेज तक नहीं है. इस गोलीकांड में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.

खरसावां हाट मैदान खून से हो गया था लाल


एक जनवरी 1948 को आदिवासी नेता जयपाल सिंह ने खरसावां और सरायकेला को ओडिशा में विलय के विरोध में खरसावां हाट मैदान में विशाल जनसभा का आह्वान किया था. जनसभा में कोल्हान के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों लोग पहुंचे थे. इसे देखते हुए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे. जयपाल सिंह किसी कारणवश जनसभा में नहीं पहुंच सके थे. इस दौरान पुलिस और जनसभा में पहुंचे लोगों के बीच किसी बात को लेकर संघर्ष हो गया. पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. इससे खरसावां हाट मैदान आदिवासियों के खून से लाल हो गया था.

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