Kharsawan News| खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : खरसावां जिले के रायजेमा से लेकर कुचाई के गोमियाडीह तक पहाड़ियों की तलहटी में बसे गांवों में हल्दी की परंपरागत और जैविक खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां के आदिवासी समुदाय के लोग बिना रासायनिक खाद के प्राकृतिक तरीके से हल्दी का उत्पादन करते हैं. यहां लगभग 4 किलो हल्दी की गांठ से एक किलो हल्दी पाउडर तैयार होता है. बाजार में हल्दी पाउडर की कीमत 250 से 300 रुपए प्रति किलो है.
आदिवासी महिलाओं को सशक्त करेगी खरसावां हल्दी
खरसावां के रायजेमा क्षेत्र की हल्दी की गुणवत्ता सरकारी फूड लैब में जांच करायी गयी, जिसमें यह सामान्य हल्दी से अधिक गुणकारी पायी गयी. आमतौर पर हल्दी में 2 से 3 प्रतिशत करक्यूमिन की मात्रा होती है, लेकिन रायजेमा की जैविक हल्दी में यह 6 से 7 प्रतिशत पायी गयी, जो इसे विशेष बनाती है. करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सिडेंट है, जो दर्द से राहत देने में मददगार है. हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है और मधुमेह के उपचार में भी सहायक है. खरसावां की यह पहल क्षेत्रीय किसानों और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.
- खरसावां की जैविक हल्दी में डबल करक्यूमिन
- केंद्रीय अधिकारियों ने हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट का लिया जायजा
- खरसावां हल्दी के मार्केटिंग व ब्रांडिंग में सहयोग करेगी केंद्र सरकार
जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने किया दौरा
भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव बृजनंदन प्रसाद ने जिले के अधिकारियों के साथ खरसावां के खेलारीसाही स्थित हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट का जायजा लिया. इस दौरान हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट की गतिविधियों की विस्तार से जानकारी भी ली. प्रसाद ने हल्दी की प्रोसेसिंग, ग्रेडिंग, पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग की प्रक्रियाओं को देखा और लाभार्थियों के अनुभव जाने. उत्पादों की गुणवत्ता की जानकारी ली.
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हल्दी को उचित बाजार दिलाने का निर्देश
संयुक्त सचिव बृजनंदन प्रसाद ने कहा कि स्थानीय क्षेत्र में उत्पादित हल्दी की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है. आवश्यकता केवल उन्हें उचित बाजार, ब्रांडिंग और प्रचार से जोड़ने की है. उन्होंने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार इस दिशा में पूर्ण सहयोग करेगी, ताकि स्थानीय उत्पादों को व्यापक बाजार मिले और किसानों को उचित मूल्य प्राप्त हो.
बेहतर मार्केटिंग, प्रभावी मार्केट लिंकेज का निर्देश
संयुक्त सचिव बृजनंदन प्रसाद ने ऑर्गेनिक हल्दी की सराहना करते हुए इसके ब्रांड वैल्यू को और बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया. अधिकारियों को निर्देश दिया कि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग एवं प्रभावी मार्केट लिंकेज सुनिश्चित करें, ताकि उत्पादकों को उचित मूल्य प्राप्त हो सके एवं उनकी आमदनी में वृद्धि हो. इसके लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, राज्यस्तरीय मेले तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय की योजनाओं के माध्यम से सहयोग प्राप्त कर स्थायी विपणन व्यवस्था विकसित करने पर जोर दिया गया.
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निरीक्षण के दौरान ये रहे मौजूद
निरीक्षण के दौरान परियोजना निदेशक आईटीडीए सह डीडीसी आशीष अग्रवाल, ट्राइफेड के क्षेत्रीय निदेशक शैलेंद्र कुमार, जनजातीय कार्य मंत्रालय की कंसल्टेंट सूची स्मिता, बीडीओ प्रधान माझी, सीओ कप्तान सिंकु व अन्य अधिकारी मौजूद थे.
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