राज्य उर्दू शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल ने डीएसई से ग्रेडेशन लिस्ट में वर्ष 1994 बैच के उर्दू शिक्षकों की वरीयता क्रम सुधारने का आग्रह किया गया. संघ द्वारा सौंपे गये आवेदन पत्र में ग्रेडेशन लिस्ट में वर्ष1994 में नियुक्त उर्दू शिक्षकों का वरीयता क्रम गलत दर्शाये जाने की जानकारी दी गयी.
संघ का मानना है कि सरायकेला- खरसावां जिला में उर्दू शिक्षकों की वरीयता क्रम सामान्य शिक्षकों के मेधा क्रमांक के साथ रखा गया है, जबकि पश्चिमी सिंहभूम जिले में सामान्य शिक्षकों के मेघा क्रमांक समाप्त होने के बाद उर्दू शिक्षकों का क्रम शुरू किया गया है. बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 1994 में 12 उर्दू शिक्षक नियुक्त किये गये थे. जिला विभाजन के बाद 5 उर्दू शिक्षक सरायकेला-खरसावां जिला में और 7 पश्चिमी सिंहभूम जिले में पदस्थापित रहे. लेकिन, दोनों जिलों में उर्दू शिक्षकों को अलग- अलग क्रम दिया जा रहा है.
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संघ के सदस्यों ने कहा कि सामान्य एवं उर्दू दोनों श्रेणी की नियुक्ति एक ही ज्ञापांक एवं तिथि के आधार पर हुई है. लेकिन, ग्रेडेशन लिस्ट में सामान्य शिक्षकों के बाद उर्दू शिक्षकों को वरीयता सूची में क्रम प्रदान करने को संघ ने गलत मानता है. संघ का मानना है कि 3 बार अब तक ग्रेडेशन लिस्ट बन चुकी है. पहली सूची में उर्दू शिक्षक ऊपरी क्रम में रखे गये थे, लेकिन बाद की 2 सूची में उन्हें नीचे कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि मेधा क्रमांक को वरीयता का आधार माने जाने से उर्दू शिक्षकों का अधिकार बनता है कि सामान्य शिक्षकों के साथ-साथ ही उर्दू शिक्षकों के मेधा क्रमांक को शामिल किया जाये. दोनों श्रेणी के शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन, परीक्षा पैटर्न तथा नियुक्ति एक साथ एक ही वेतनमान एवं गैर योजना मद में की गयी है, तो फिर मेधा क्रमांक को अलग नहीं किया जाना चाहिए. ग्रेडेशन लिस्ट में सामान्य शिक्षकों के बाद उर्दू शिक्षकों की वरीयता क्रमांक रखे जाने से आजीवन प्रोन्नति से वंचित रहना पड़ेगा. शिष्ट मंडल में प्रमंडल अध्यक्ष अब्दुल माजिद खान, सचिव महफुजुर्रहमान, मो नसीम अखतर, मो अबुबकर, शमशेर आलम, आफताब आलम, निकहत परवीन और शाहिद अनवर शामिल थे.
सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुआ डीएसई से मुलाकात : माजिद
झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ, कोल्हान प्रमंडल अध्यक्ष अब्दुल माजिद खान ने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम जिला के डीएसई के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में वार्ता हुई है. डीएसई को पूर्व से ही उर्दू शिक्षकों की समस्या की जानकारी थी. उन्होंने माना कि उर्दू शिक्षकों की मांग सही है. डीएसई द्वारा करीब एक घंटे तक शिष्टमंडल से सभी बिंदुओं पर जानकारी ली गयी. इस दौरान उन्होंने हर संभव इस मुद्दे पर विभागीय आदेश का पालन करते हुए समस्या का समाधान निकालने का विश्वास दिया. डीएसई के सहयोगात्मक रवैया से शिक्षकों में न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.
Posted By : Samir Ranjan.