West Singhbhum News : भगवान वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में ब्रह्मोत्सव का भव्य आयोजन, दूसरे दिन गरुड़ प्रतिष्ठा और सुदर्शन होम का आयोजन

शांति के लिए वैदिक परंपरा का संगम बना बालाजी मंदिर

By AKASH | May 20, 2025 10:46 PM
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चक्रधरपुर.

शहर के पंचमोड़ स्थित भगवान वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में चल रहे वार्षिक ब्रह्मोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को मंदिर में गरुड़ प्रतिष्ठा, ध्वजारोहण समारोह, सुदर्शन होम और सहस्र दीप अलंकर पूजा का आयोजन हुआ. सुबह से लेकर शाम तक चले इस पूजन समारोह में भक्तों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया. सबसे पहले भगवान बालाजी के साथ माता पद्मावती और माता अंडालु की पूजा की गयी. इसके बाद भक्तों ने भगवान बालाजी के साथ दोनों माता को पालकी पर बिठाकर ढोल नगाड़ों के साथ मंदिर की परिक्रमा की. इसके बाद गरुड़ प्रतिष्ठा कर ध्वज स्तंभ में ध्वजारोहण किया गया.

नौ विवाहित जोड़े ने आहुतियां दीं

मंदिर परिसर पर स्थित सुदर्शन मंडप में सुदर्शन होम पूजन अनुष्ठान का आयोजन हुआ. इस होम यज्ञ में नौ विवाहित जोड़े शामिल हुए. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन और यज्ञ हुआ. भगवान बालाजी की सुंदर अलंकृत बड़ा हवन कुंड बना कर सुदर्शन होम किया गया. हवन कुंड को फल, फूल और रंगों से सजाया गया. आंध्र प्रदेश से आए पुरोहितों ने भगवान बालाजी, माता पद्मावती एवं माता अंडालू की पूजा की. हवन कुंड में अग्नि प्रज्जवलित किया गया. इसके बाद नौ दंपतियों ने मंत्रोच्चार के बीच कमल फूल, घी, फल, चूड़ा, लावा,हल्दी, चावल, हलुवा आदि की आहूति दी. इसके बाद एक नयी साड़ी में फल, फूल डाल कर हवन कुंड में पूर्ण आहूति दी गई. हवन की समाप्ति के बाद विवाहित जोड़ों ने प्रसाद ग्रहण कर उपवास तोड़ा. इस दौरान पुरे मंदिर परिसर वैदिक मंत्रों से गुंजायमान रहा. इस दौरान भक्तों के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया.

विश्व शांति के लिए किए जाते हैं महायज्ञ : आनंद नारायण

आनंद नारायणतिरुपति से आए मुख्य पंडित आनंदनारायण आचार्यल्लु, मंदिर के पंडित राम कामेश्वर रात, पंडित आर विष्णु तेजा तथा समिति के अध्यक्ष केटी राव के नेतृत्व में ब्रह्मोत्सव का आयोजन हो रहा है. मौके पर मुख्य पंडित आनंदनारायण आचार्यल्लु ने कहा कि ब्रह्मोत्सव का आयोजन झारखंड और देश की परिस्थिति को शांत करने तथा बाहरी विपदा हमारे देश में नहीं पड़े, उसके लिए विश्व शांति के लिए महायज्ञ प्रत्येक वर्ष करते हैं. आचार्यल्लु ने बताया कि यह ब्रह्मोत्सव न केवल मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में होता है, बल्कि विश्व शांति और देश में किसी भी बाह्य आपदा से रक्षा के लिए विशेष महायज्ञ के रूप में भी संपन्न किया जाता है. वैदिक मंत्रोच्चार के माध्यम से क्षेत्र और देश की सुख-समृद्धि व संकट निवारण की प्रार्थनाएं की जाती हैं.

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