चाईबासा. हमारा देश भारत चांद व मंगल तक पहुंच गया है, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास की जड़ें बरकरार हैं. ऐसा ही मामला सदर (चाईबासा) प्रखंड के आचू गांव में सोमवार को देखा गया. गांव में डेढ़ साल के बालक यश बांडरा के ऊपरी जबड़ा में पहले दांत निकलने पर ग्रामीणों ने पौधे से शादी रचायी. दरअसल, ग्रामीण मानते हैं कि ऊपरी जबड़े में पहले दांत आने पर दुर्घटना का खतरा रहता है. उसे टालने के लिए बच्चे की शादी कुत्ते से करायी जाती है. हालांकि, आचू गांव के लोगों को आसपास कुत्ते का बच्चा नहीं मिला, तो पौधे (सुनी नामक) से शादी करायी गयी. ग्रामीणों ने बताया कि शादी आचू गांव में हुई. हालांकि, बाराती चिमीहातु गांव से आयी, जिसमें वर-वधू पक्ष से कुल 35 लोग शामिल हुये. हो आदिवासी समाज की परंपरा से शादी की रस्म करीब तीन घंटे में पूरी की गयी. बारातियों को जलपान व भोजन कराया गया. ग्रामीणों ने बताया कि आचू गांव के सनातन बानरा के बेटा यश बांड्रा और चिमीहातु की सुशीला कुदादा ने पौधे के रूप में एक साल की लड़की से शादी करायी. शादी से पहले चिमिहातु गांव से कन्या पक्ष के लोग सुशीला कुदादा के नेतृत्व में आचू गांव पहुंचे. वर के घर पहुंचने से पूर्व गांव के पास थोड़ा देर इंतजार किया. बारात आने की सूचना भेजवायी गयी. सूचना मिलते ही आचू गांव के लोगों ने ढोल-मांदर आदि के साथ वधू पक्ष का स्वागत किया. आचू गांव की महिलाओं ने हल्दी पानी से सभी के पांव धोये. इसके हाद बाराती नाचते- गाते वर पक्ष के दरवाजे पर पहुंचे. इसके बाद पारंपरिक रीति-रिवाज से शादी की रस्म अदा की गयी. इस अवसर पर सनातन कुदादा, मनमोहन कुदादा, सनातन बानरा, प्रकाश बानरा आदि शामिल उपस्थित थे.
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