जगन्नाथपुर. पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर प्रखंड स्थित गितिलिपि गांव के रामोसाई टोला में मंगलवार को भी मातमी सन्नाटा पसरा रहा. सोमवार को पुआल के ढेर पर घर बनाकर खेल रहे चार बच्चे (तीन लड़के व एक लड़की) जिंदा जल गये थे. मंगलवार को मासूम के शवों का आदिवासी रीति-रिवाज से अपने-अपने आंगन में अंतिम संस्कार किया गया. वहीं, इस मामले में गठित एसआइटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) ने मुखिया सहित आठ ग्रामीणों से पूछताछ कर बयान लिया. घटना कैसे हुई? इसका पता नहीं चल पाया है.
कैसे लगी आग ? कहीं से चिंगारी आयी या कुछ और
आंसुओं में बीती रात, नहीं आयी नींद
ज्ञात हो कि घटना के बाद चाईबासा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद बच्चों के शव सोमवार की शाम करीब 7:20 बजे गांव लाये गये थे. डीसी और डीडीसी ने विधायक सोनाराम सिंकु के हाथों परिजनों को एक-एक लाख की राशि दी थी. घटना के बाद तीनों परिवार में मातम पसरा रहा. परिवार वालों के साथ ग्रामीणों को पूरी रात नींद नहीं आयी. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल रहा.
शोकाकुल परिवारों के साहस बन खड़े रहे ग्रामीण
मेरे घर का चिराग बुझ गया : अर्जुन
बेटे प्रिंस चातर की मौत की सूचना पाकर ओडिशा से अपने गांव पहुंचा अर्जुन चातर की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे. उसने कहा कि मेरा घर का चिराग बुझ गया. घटना के बारे में सुनते ही मेरा पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी. किसी तरह मैं काम छोड़ कर घर के लिए रवाना हो गया. घर पर मैंने अपने बेटे का जला शव देखा. पिता के होते बेटे की मौत होना, सबसे बड़ा दुर्भाग्य है.
गांव में पसरा रहा सन्नाटा, काम पर नहीं गये ग्रामीण
एसआइटी में शामिल पदाधिकारी
शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को सौंपी
बाल संरक्षण विभाग व डालसा ने पीड़ित परिवारों को मदद का दिया भरोसा
घटना को लेकर बाल संरक्षण विभाग के विकास दोदराजका और डालसा सचिव राजीव कुमार सिंह, पीएलवी प्रमिला पात्रो मंगलवार गितिलिपी गांव पहुंचे. पीड़ित परिवारों से बातचीत की. सचिव ने कहा कि डालसा के प्रावधान के तहत सुविधाएं जल्द उपलब्ध करायेंगे. बाल संरक्षण विभाग ने बताया कि पीड़ित परिवार यदि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए हॉस्टल में रखकर पढ़ाना चाहते हैं, तो प्रयास किया जायेगा.
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