प्रतिनिधि, तांतनगर
तालाब में दैविक शक्ति का वास
तांतनगर प्रखंड क्षेत्र के हरिबेड़ा गांव के उत्तर में दो बड़े-बड़े दैविक तालाब हैं. जिन्हें सुरमी दुरमी तालाब से जाना जाता है. लोगों की मान्यता है कि भीषण गर्मी में भी तालाब का पानी नहीं सूखता है. इस समय तालाब में पानी की गहराई लगभग 6 फीट बतायी जाती है. हालांकि इस समय तालाब जलकुंभी से पटा हुआ है. तालाब में दैविक शक्ति का वास है. इस तालाब में अन्याय कार्य करने व्यक्ति की डूबने की संभावना रहती है.सुरमी व दुरमी से संबंधित दो इतिहास
पहला:
दूसरा:
एक बार ओडिशा स्थित नारगी की दो महिलाएं (सुरमी और दुरमी) खरकई नदी में मछली पकड़ रही थीं. तपस्वी डाबरा ने दोनों महिलाओं को देखे बिना शिकार के लिए उतर दिशा में बाण चलाये . बाण मछली पकड़ रही महिला के पास गिरा और दोनों महिलाओं ने बाण अपने पास रख लिये. डाबरा बाण की खोजबीन करते-करते दोनों महिलाओं के पास पहुंचे. दोनों से बाण वापस करने की विनती की. दोनों ने डाबरा से बाण वापस करने की शादी की शर्त रखी. डाबरा ने दोनों महिला की शर्त स्वीकार की. डाबरा सुरमी व दुरमी को लाये. घर व्यवस्था के लिए डाबरा ने उतर दिशा में सुरमी के नाम से बाण चलाया, जहां बाण गिरा वहां बड़ा तालाब बन गया उसी तालाब में सुरमी दैविक शक्ति के रूप में निवासी करने लगी. इसी तरह दुरमी के नाम से भी उतर दिशा में बाण चलाया, जहां बाण गिरा वहां दूसरा बड़ा तालाब बन गया. उस तालाब में दैविक शक्ति पवित्र दुरमी निवास करने लगी. डाबरा सुरमी-दुरमी से मिलने के लिए पहाड़ और तालाब के बीच सुरंग बना दिया. जो आज भी मौजूद है.क्या कहते हैं हरिबेड़ा के ग्रामीण
पहाड़ पर तपस्वी डाबरा के दो बाणों से सुरमी व दुरमी तालाब बने हैं. दोनों तालाब काफी पवित्र हैं. जून की अमावस्या के आस पास शिकार पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है.
रौनक मुडरी
विक्रम कालुंडिया- हरिबेड़ा में शिकार पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. मेला समिति द्वारा मुख्य अतिथि के रूप आमंत्रित किया गया है.
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