– जैंतगढ़-चंपुआ में डीडीटी छिड़काव के साथ फॉगिंग कराने की मांगप्रतिनिधि, जैंतगढ़
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चाईबासा. चाईबासा व आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों वायरल फीवर, डेंगू और मलेरिया ने अपना तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया है. जिससे करीब आधा दर्जन लोगों की जानें भी जा चुकी हैं. स्थिति यह है कि कई घरों में एक से अधिक लोग इस बीमारी से लड़ रहे हैं. मौजूदा समय में सदर अस्पताल के आंकड़े के अनुसार, अब तक यहां डेंगू के 15 व मलेरिया के 14 मरीज पाये गये हैं. वहीं. इस बीमारी से बचने व प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए कई लोग पपीते के पत्ते का जूस पीकर, पक्के व कच्चे पपीते खाकर और दवा का सेवन करके भी ठीक हो रहे हैं. यही वजह है कि पपीते की मांग काफी बढ़ गयी है. मांग के बढ़ते ही दर में भी इजाफा हुआ है. स्थिति यह है कि बाजार में कच्चा पपीता 40-50 रुपये किलो तो पक्के पपीता की कीमत प्रति पीस 150-300 रुपये तक बिक रही है.
समय पर इलाज नहीं होने पर हो रहीं मौतें
जानकारी के अनुसार, इस बीमारी में मरीज के मुंह में दाना निकल जाता है. भोजन का स्वाद खत्म हो जाता है और प्लेटलेट्स घटने के कारण कमजोरी हो जाती है. यदि समय पर बेहतर उपचार नहीं मिला, तो मरीज की मौत भी हो जाती है. हालांकि रेफर किये गये मरीजों, मलेरिया और डेंगू की मौत का यहां कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है, लेकिन ऐसे मामले के मरीजों की संख्या अब रफ्तार पकड़ने लगी है.
गाड़ीखाना मोहल्ले में एक ही परिवार के सात लोग बुखार से पीड़ित
वहीं, इस बीमारी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गाड़ीखाना मोहल्ले में एक ही परिवार के सात लोग बुखार से पीड़ित हैं. क्षेत्र में फैले डेंगू और मलेरिया ने इस कदर कहर बरपा रखा है कि बड़ी बाजार का एक युवक बीमार पड़ने पर इलाज कराने के लिए घर से पैदल चलकर निकला. इसके बाद उसे वाहन से इलाज के लिए जमशेदपुर ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी. यही हाल अमलाटोला के एक युवक की भी रहा. उस युवक की स्थिति जब खराब हुई, तो उसे जमशेदपुर ले जाया गया. वहां पहुंचने के बाद उसे तीन बार विभिन्न बड़े अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ा, लेकिन वह इस बीमार से हार गया और उसकी मौत हो गयी.
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