Maratha Reservation: शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को एक अलग श्रेणी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक मंगलवार को महाराष्ट्र विधानमंडल में सर्वसम्मति से पारित हो गया. लेकिन इसके बावजूद मनोज जरांगे ने अपना भूख हड़ताल खत्म नहीं किया है. जरांगे मराठा समुदाय के लिए ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग पर अड़े हुए हैं. इधर जरांगे ने बड़ी घोषणा कर दी है.
Maratha Reservation: जरांगे ने 3 मार्च को राज्यव्यापी रास्ता रोको की घोषणा की
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने बुधवार को ‘सेज सोयरे’ अध्यादेश अधिसूचना को लागू करने की मांग को लेकर 3 मार्च को राज्यव्यापी ‘रास्ता रोको’ की घोषणा की है. मराठा आरक्षण की मांग पिछले साल अगस्त से ही जारी है. पिछले साल जरांगे ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी.
Maratha Reservation: मराठा विधेयक सदन में पारित होने के बाद नाखुश नजर आए जरांगे
ओबीसी श्रेणी के तहत समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग के समर्थन में जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे कार्यकर्ता जरांगे विधेयक के पारित होने से नाखुश दिखे. उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि महाराष्ट्र सरकार समुदाय को 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत आरक्षण देती है, आरक्षण ओबीसी श्रेणी के तहत होना चाहिए और अलग नहीं होना चाहिए. मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने पत्रकारों से कहा, सरकार हमें वह दे रही है जो हम नहीं चाहते. हम अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण चाहते हैं, लेकिन वे इसके बजाय हमें एक अलग कोटा दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ओबीसी श्रेणी के बाहर एक अलग आरक्षण कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकता है, क्योंकि ऐसा करना आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो सकता है.
Maratha reservation activist Manoj Jarange Patil announces statewide 'Rasta Roko' on 3rd March to demand implementation of 'Sage Soyare' ordinance notification https://t.co/2lcs8oCStT
— ANI (@ANI) February 21, 2024
Maratha Reservation: मराठा आरक्षण में क्या है खास
मराठा आरक्षण विधेयक में कहा गया कि महाराष्ट्र की कुल आबादी में मराठों की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत है. यह पिछले छह वर्षों में आंदोलनरत समुदाय को आरक्षण का लाभ प्रदान करने का दूसरा प्रयास है. विधेयक में कहा गया है कि मराठा वर्ग का पिछड़ापन पिछड़े वर्गों और विशेष रूप से ओबीसी से इस अर्थ में भिन्न और अलग है कि यह अपने प्रसार के मामले में अधिक व्यापक है, यह अपनी पैठ में भिन्न है और चरित्र में अधिक प्रतिगामी है. विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि एक बार आरक्षण लागू हो जाने पर 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है.
महाराष्ट्र में कुल 52 प्रतिशत आरक्षण में किस वर्ग को कितना
राज्य में मौजूदा 52 प्रतिशत आरक्षण में से, अनुसूचित जाति 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 7 प्रतिशत, ओबीसी 19 प्रतिशत, विशेष पिछड़ा वर्ग 2 प्रतिशत, विमुक्त जाति 3 प्रतिशत, घुमंतू जनजाति (बी) 2.5 प्रतिशत, घुमंतू जनजाति (सी) धनगर 3.5 प्रतिशत और घुमंतू जनजाति (डी) वंजारी 2 प्रतिशत के लिए पात्र हैं.
किस राज्य में कितना आरक्षण
सदन में विधेयक पेश करने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि देश के 22 राज्य 50 प्रतिशत आरक्षण का आंकड़ा पार कर चुके हैं. उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, तमिलनाडु राज्य में 69 प्रतिशत, हरियाणा में 67 प्रतिशत, राजस्थान में 64 प्रतिशत, बिहार में 69 प्रतिशत, गुजरात में 59 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 55 प्रतिशत आरक्षण है.
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