Rourkela News: हाथियों के डर से लाठीकटा के 40 परिवार तीन सालों से नहीं कर रहे खेती, 50 एकड़ जमीन पड़ी है खाली

Rourkela News: लाठीकटा में हाथियों के डर से 40 परिवार खेती-किसानी छोड़कर दिहाड़ी मजदूरी या फैक्ट्रियों में कर करके जीवन यापन कर रहे हैं.

By BIPIN KUMAR YADAV | July 12, 2025 12:02 AM
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Rourkela News: लाठीकटा ब्लॉक अंचल के किसानों ने हाथियों के भय से खेती करने ही छोड़ दी है. इस ब्लॉक में वर्षों से हाथियों और इंसानों के बीच लड़ाई होती आ रही है. कभी इस लड़ाई में इंसानों की जान जाती है, तो कभी हाथियों की. हाथियों के उत्पात से सैकड़ों एकड़ सुनहरी फसलें बर्बाद हो रही हैं. आदिवासियों के मिट्टी के घर तबाह हो रहे हैं. हाथियों के हमले से कई लोग विस्थापित हो रहे हैं, तो कुछ जीवनभर के लिए अपंग हो रहे हैं. लगातार हाथियों के हमले के कारण कुछ लोग अब अपनी जमीन पर खेती तक नहीं कर रहे हैं.

जमीन पड़ी है परती, पेट पालने के लिए कर रहे दिहाड़ी मजदूरी

लाठीकटा ब्लॉक अंतर्गत मुंडाजोर ग्राम पंचायत के डोलाकुदर गांव में रहने वाले 55 में से 40 परिवार पिछले तीन वर्षों से खेती नहीं कर रहे हैं. उनकी जमीन खाली पड़ी है. उक्त गांव की जमीन पर धान, उड़द, कुल्थी आदि की फसल होती थी. लेकिन हाथियों के भय से किसानों के खेती-किसानी से तौबा कर लेने से लगभग 50 एकड़ जमीन खाली पड़ी है. जो थोड़ी बहुत फसल बची है, उसे भी काटना मुश्किल हो रहा है. विद्याधर सिंह, राजेंद्र सिंह, राइनु सिंह, अनिरुद्ध सिंह, क्षीरमोहन सिंह, गंदरू सिंह, सीताराम सिंह, कीरत सिंह, वंदनु सिंह, चंदू सिंह, सहर सिंह, गंगाधर सिंह, फूल सिंह जैसे लोगों की आधा एकड़ जमीन परती पड़ी है. ये लोग जहां अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग पास के वर्कशॉप में भी काम कर रहे हैं.

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वन विभाग के अधिकारियों का कराया ध्यानाकर्षण, नहीं निकला नतीजा

15 जून को वन विभाग के अधिकारियों और मुंडाजोर ग्राम पंचायत के निवासियों के बीच एक बैठक हुई थी. मुंडाजोर के सरपंच सकारी ओराम ने उपस्थित डीएफओ का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया था. लेकिन इसका कुछ नतीजा नहीं निकला है. एक अनुमान के अनुसार लाठीकटा ब्लॉक में कुल 24091 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें से 17382 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है और 6709 हेक्टेयर भूमि गैर-धान योग्य है. इस वर्ष बारिश के कारण फसल उत्पादन कम होगा, क्योंकि कुछ भूमि जलमग्न है. यदि हाथियों के हमले के शिकार किसान कृषि कार्य बंद करने का निर्णय नहीं बदलते हैं, तो फसल उत्पादन और भी कम हो जायेगा. जिससे इस ओर ध्यान देने की मांग सरकार और विभागीय अधिकारियों से हो रही है.

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