Rourkela News: कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या के खिलाफ भारत ने मंगलवार-बुधवार की आधी रात आपरेशन सिंदूर शुरू किया है. वहीं देश भर में युद्ध का हालात बनने के बाद एयर स्ट्राइक होने पर अपना बचाव कैसे करें, घायलों को कैसे बचायें तथा दुश्मन का किस प्रकार मुकाबला करें, इसे लेकर बुधवार को माॅक ड्रिल की गयी. इसके तहत ओडिशा के 12 शहरों में से एक राउरकेला में भी मॉक ड्रिल की गयी.
पिछली बार 1971 में हुई थी ऐसी मॉक ड्रिल
बुधवार अपराह्न चार बजे उदितनगर परेड मैदान में हुई इस मॉक ड्रिल में सिविल डिफेंस, एनसीसी, एनएसएस समेत विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे. इसमें बताया गया कि सिविल डिफेंस वाहिनी का गठन 1968 में एक अधिनियम के माध्यम से किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध के दौरान हवाई हमलों के बारे में सभी को सूचित करना और सुरक्षित रहने तथा अपने आसपास के लोगों को खतरे से बचाने के लिए हम क्या सावधानियां बरत सकते हैं, यह बताना है. बुधवार को हवाई हमले की चेतावनी को लेकर मॉक ड्रिल आयोजित की गयी. पिछली बार ऐसी मॉक ड्रिल 1971 में हुई थी.
रेड अलर्ट मिलते ही बजा सायरन, लोगों ने छिप कर बचायी जान
बुधवार को हुई मॉक ड्रिल में बताया गया कि हमारे देश और हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया है. मॉक ड्रिल के माध्यम से दिखाया गया कि लोग अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हैं. कुछ लोग दफ्तर से घर लौट आये हैं. कुछ मैदान में खेल रहे हैं. इसी समय नागरिक सुरक्षा नियंत्रण केंद्र ने युद्ध (अभ्यास) शुरू हो गया है. लेकिन यह बात जनता को ज्ञात नहीं है. इससे केंद्र से एक रेड अलर्ट वार्डन तक पहुंचता है. इसका मतलब यह है कि अगर किसी भी समय दुश्मन का विमान हवाई हमला करेगा, तो पांच मिनट तक सायरन बजेगा. सायरन की आवाज सुनकर लोग शरण लेते हैं, जो लोग घर में फंसे हुए हैं, वे दो दरवाजों के बीच शरण लेते हैं और तकिये या बैग की मदद से अपने सिर को ढकते हैं. जो लोग खुले में हैं वे जमीन पर सीधे लेट कर अपने कान और आंखें ढक लेते हैं और अपनी कोहनियों के बल पर खड़े हो जाते हैं, ताकि उनकी छाती जमीन को न छुए. इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य यह दिखाना था कि यदि दुश्मन की ओर से हमला हो, तो हम अपनी सुरक्षा कैसे कर सकते हैं.
सिविल डिफेंस, एनसीसी और एनएसएस स्वयं सेवकों ने चलाया बचाव अभियान
सीडीसीसी से हरी झंडी मिलने के बाद वार्डन सायरन की ध्वनि को पांच मिनट के लिए बढ़ा देता है. इसका मतलब यह है कि हम दुश्मन के विमान से सुरक्षित दूरी पर हैं. साथ ही सिविल डिफेंस, एनसीसी, एनएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा हवाई हमले में घायल लोगों को प्राथमिक उपचार देते हुए और आपातकालीन तरीकों का उपयोग करते हुए उन्हें खतरनाक स्थानों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का प्रदर्शन भी किया गया. यदि किसी हवाई हमले में परिवार का कोई सदस्य गंभीर रूप से घायल हो जाता है, तो परिवार के सदस्य प्राथमिक उपचार के दौरान बाधाएं उत्पन्न करते हैं. इस दौरान कैसे स्वयंसेवक बिना किसी बाधा के उनका उपचार सुचारू रूप से कर सकेंगे, यह भी दिखाया गया.
घायलों को प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और निकटतम अस्पताल ले जाने का दिखाया कौशल
इस मॉक ड्रिल के दौरान दुश्मन यूएक्सबी को वार्डन द्वारा निशाना बनाया जाता है. यदि कोई घायल व्यक्ति वहां से कुछ दूरी पर बेहोश पड़ा है, तो सीधे उस स्थान पर जाकर उसे बचाना खतरनाक है. ऐसे मामलों में बचावकर्ता अपने हाथ में बालू का थैला लेकर यूएक्सबी से कुछ दूरी पर बालू की दीवार बनाता है. दीवार बनने के बाद हताहतों को बचाया जाता है. सभी घायलों को प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर ले जाया जाता है और वहां से एंबुलेंस के माध्यम से निकटतम अस्पताल भेजा जाता है. इस माॅक ड्रिल में सुवेंदु पंडा (कंपनी कमांडर), दिलीप कुमार राउत, जनमेजय राउतराय, हरे कृष्ण तांती, दुशासन महाराणा, सत्यजीत साहू, अजित प्रसाद, परीक्षित बेहेरा, नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षक सुनील कुमार मुर्मू की प्रभावी भूमिका रही.
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