Rouekela News: भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर रविवार को राउरकेला के सिविक सेंटर में राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन आयोजित किया गया. ओडिशा प्रदेश की उपाध्यक्ष सुमिता महापात्रा द्वारा संयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष बादल कुमार महाराणा समेत मुख्य अतिथि डॉ किशोरी दास, मुख्य वक्ता भारतीय मजदूर संघ के केंद्रीय सह संगठन मंत्री गणेश मिश्रा, विशिष्ट अतिथि राउरकेला म्युनिसिपल कालेज के प्राचार्य डॉ सनातन प्रधान व सम्मानित अतिथि भारतीय मजदूर संघ की सचिव सुश्री अंजलि पटेल उपस्थित थीं. सम्मेलन का उद्घाटन उपस्थित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया.
संगठन में कार्यरत महिला नेताओं की प्रशंसा की
सुमिता महापात्रा ने अपने स्वागत भाषण में महिलाओं के क्षेत्र में भारतीय ट्रेड यूनियनों के कार्यों को प्रस्तुत किया. विशिष्ट अतिथि सनातन प्रधान ने अपने भाषण में समाज में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के सदस्य किस प्रकार समाज में समरसता और प्रगति कायम रख सकते हैं, इस पर विस्तृत व्याख्यान दिया. मुख्य वक्ता गणेश मिश्रा ने भारतीय मजदूर संघ के 70वें वर्ष में आयोजित किये जा रहे सभी कार्यक्रमों और इसके सामाजिक महत्व की जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि समाज निर्माण में महिलाओं का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है. मुख्य अतिथि डॉ किशोरी दास ने अपने भाषण में राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने संगठन में कार्यरत महिला नेताओं की प्रशंसा की.
वरिष्ठ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को किया सम्मानित
बिसरा ब्लॉक की आंगनबाड़ी की सदस्यों ने स्वागत गीत गाया गया और कुआरमुंडा ब्लॉक की आंगनबाड़ी कर्मियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. समारोह में उपस्थित वरिष्ठ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया. अंत में राज्य अध्यक्ष बादल कुमार महाराणा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम में भारतीय मजदूर संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरभि स्वांई, प्रदेश सचिव हिमांशु बल, कोषाध्यक्ष संजय देहुरी, संगठन सचिव लक्ष्मण दास, अमर भुइयां, ललित जेना, श्रीधर बिंधानी, श्रीधर बेहेरा, मानस दास, निरंजन पटेल, संतोष साहू, संतोष तांती, विकास प्रधान, गुरुचरण गुरुचरण मोहंती, सुकांत दास, सूरज सराफ, सरोज पांडा, त्रिनाथ बारिक, प्रदीप साहू, मुरली पांडे, मुरली सामल, अजीत पृष्टि, संजीव पति, राजीव दास, अक्षय धल, केशव सेठ, सुभाष पाढ़ी, रीता रानी स्वांई और रंजीता जेना का मुख्य योगदान रहा.
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