Rourkela News: सागासाही आर्सेलर मित्तल लौह खदान के सामने कान्हूसाही खेल मैदान में बुधवार को विधायक लक्ष्मण मुंडा के नेतृत्व में सीआइटीयू संबद्ध सुंदरगढ़ माइंस एंड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों का साथ एक सम्मेलन आयोजित हुआ. इसमें 3000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. इसमें अक्तूबर 2024 में कंपनी की ओर से किया गया वादा पूरा नहीं करने पर नाराजगी जतायी गयी.
कंपनी पर प्रताड़ित करने व वादे पूरे नहीं करने का लगाया आरोप
विधायक लक्ष्मण मुंडा ने सागासाही आर्सेल मित्तल लौह अयस्क प्राधिकरण द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों का विभिन्न तरीकों से मानसिक रूप से प्रताड़ित करने, शोषण करने और लौह अयस्क परिवहन के लिए बाहरी ठेकेदारों को काम पर रखने के साथ-साथ अनुबंध के वादों की अनदेखी करने के लिए कड़े शब्दों में निंदा की और चेतावनी दी कि अगर आगामी 24 तारीख तक वादा पूरा नहीं किया गया, तो खदान पूरी तरह से बंद कर हड़ताल किया जायेगा. बैठक में माकपा जिला महासचिव प्रमोद सामल, सीआइटीयू राज्य सचिव प्रभात पंडा, कोइड़ा प्रखंड अध्यक्ष सुरेश कुमार नायक, कोइड़ा जिला परिषद सदस्य सुशीला मुंडा, स्थानीय सरपंच प्रतिनिधि टिकेश्वर पात्र, डेंगुला रक्सी पंचायत सरपंच बाबुली मुंडा, आनंद मासी होरो, पूर्व प्रखंड उपाध्यक्ष दिवाकर नायक, सुदर्शन पात्र, जान डुंगडुंग समेत कई नेता उपस्थित थे, जिन्होंने खनन अधिकारियों की मनमानी कार्रवाई और स्थानीय लोगों की उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठायी. बैठक का संचालन और अध्यक्षता स्थानीय युवक आकाश नायक ने की, वहीं कलमांग, सागासाही और काहनुसाही इलाकों से हजारों की संख्या में ग्रामीण पुरुष और महिलाएं शामिल हुए और समर्थन जताया. शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए बणई एसडीपीओ रामचंद्र बिस्वाल, कोइडा थाना अधिकारी ज्योति रंजन पति और अन्य अधिकारियों के साथ दो प्लाटून पुलिस बल मौजूद थे.
अक्तूबर, 2024 में 10 दिनों की हड़ताल से ठप हो गयी थी लौह अयस्क की ढुलाई
इस बैठक में बताया गया कि बणई विधायक लक्ष्मण मुंडा के नेतृत्व में 22 अक्तूबर, 2024 से 10 दिनों तक पांच हजार से अधिक मजदूरों व ग्रामीणों ने स्वास्थ्य सेवा, सड़क निर्माण, स्थानीय रोजगार, पीडीसी शिक्षक समेत 12 सूत्री मांगों को लेकर कोइड़ा खनन मंडल अंतर्गत सागासाही आर्सेलर मित्तल लौह खदान के समक्ष धरना दिया था. जिससे लौह अयस्क की ढुलाई व निकासी भी बाधित रही थी. समाधान के लिए जिलापाल के निर्देश पर उपजिलापाल की अध्यक्षता में उनके कार्यालय में कंपनी अधिकारियों व प्रदर्शनकारियों के बीच बैठक हुई, जिसमें समाधान के लिए लिखित समझौता हुआ था. लेकिन समझौते के आठ माह बीत जाने के बाद भी इस पर अमल होने नहीं होने से खदान के कारण लोगों का जीवन और भी दूभर हो गया है. वादा के मुताबिक, स्थानीय रोजगार, परिवहन, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सुविधा, पीडीसी शिक्षक समेत अन्य मांगें पूरी नहीं हुईं.
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