Rourkela News: एनआइटी के शोधार्थियों ने रिसर्च के बाद किया खुलासा-विशेष बच्चों की देखभाल करने वाले माता-पिता के योगदान की अक्सर होती है अनदेखी

Rourkela News: एनआइटी के शोधार्थियों ने विकासात्मक दिव्यांगता वाले बच्चों की परवरिश का उनके माता-पिता पर पड़ने वाले प्रभाव की समीक्षा की.

By BIPIN KUMAR YADAV | July 10, 2025 11:57 PM
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Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) राउरकेला के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रामकृष्ण बिस्वाल और उनके वरिष्ठ शोधार्थी अभिजीत पाठक ने विकासात्मक दिव्यांगता वाले बच्चों की परवरिश का उनके माता-पिता पर पड़ने वाले प्रभाव की समीक्षा की है.

एशिया पैसिफिक जर्नल ऑफ सोशल वर्क एंड डेवलपमेंट में प्रकाशित हुआ शोध

एशिया पैसिफिक जर्नल ऑफ सोशल वर्क एंड डेवलपमेंट में प्रकाशित यह शोध इस बात की जांच करता है कि ऐसे बच्चों की निरंतर देखभाल करते रहने का उनके माता-पिता के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है और अंततः यह उनके जीवन की समग्र गुणवत्ता पर कैसे असर डालता हैं. परिणामस्वरूप माता-पिता, खासकर माताएं भावनात्मक तौर पर अंदर से थक जाती हैं. उन्हें सिरदर्द, अल्सर, क्रॉनिक दर्द और थकान जैसी अन्य समस्याएं रहती हैं, क्योंकि अक्सर माताएं ही देखभाल की बड़ी जिम्मेदारियां संभालती हैं. इन समस्याओं की वजह से वे देखभाल करने की क्षमता खोने लगती हैं. विकासात्मक दिव्यांगता वाले बच्चों का पालन-पोषण करना एक विशेष और अक्सर जीवनभर चलने वाली चुनौती होती है. बुनियादी आत्म-देखभाल सिखाने से लेकर व्यावहारिक और संवेदनशील समस्याओं को संभालने तक, माता-पिता ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं, जिनका अनुभव अन्य लोग शायद कभी न करें. इन अनुभवों को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने ऐसे 400 माता-पिता का सर्वेक्षण किया, जिनके बच्चे ऑटिज्म, अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी), सेरेब्रल पाल्सी और बहु-विकलांगता जैसी समस्याओं से ग्रस्त थे. इसके लिए एनआइटी राउरकेला की रिसर्च टीम ने सांस्कृतिक रूप से अनुकूल उपकरणों और अत्याधुनिक सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग करके यह पता लगाया कि माता-पिता के शरीर, मनोदशा और रिश्तों पर इस तनाव से होने वाले प्रभाव में उनके शारीरिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका है.

माता-पिता अपने समुदायों से अलग-थलग महसूस करते हैं

शोधकर्ताओं ने अध्ययन में बायोसाइकोसोशल मॉडल का किया उपयोग

अध्ययन में यह देखा गया कि शारीरिक स्वास्थ्य आंशिक रूप से ही यह बताता है कि देखभाल के तनाव से माता-पिता का स्वास्थ्य कैसे प्रभावित होता है, लेकिन इसमें आर्थिक तनाव जैसी चुनौतियों को शामिल नहीं किया गया है. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बायोसाइकोसोशल मॉडल का उपयोग किया, जो यह मानता है कि स्वास्थ्य में शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक शक्तियों के बीच जटिल परस्पर प्रक्रिया की साझेदारी है. यह मॉडल शोधकर्ताओं को तनाव के परस्पर संबंधित प्रभावों को समझने और यह जानने में सक्षम बनाता है कि किस तरह तनाव के कारण और इसके प्रभाव बढ़ाने वाले कारक दोनों के अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं.

माता-पिता की स्वास्थ्य जांच और तनाव प्रबंधन सुनिश्चित किया जाना चाहिए

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