Rourkela News: सेक्टर-3 अहिराबंध जगन्नाथ मंदिर में रथ निर्माण के लिए रथ की लकड़ी की पूजा बुधवार को अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर की गयी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन सत्य युग का आरम्भ हुआ था. स्वर्ग से देवता आये और पृथ्वी पर राज्य करने लगे. इन्द्र स्वयं भूमि जोतने के लिए हल पकड़े हुए थे. यहां हल चलाने व धान बोने का उद्देश्य ब्रह्मा द्वारा बनाए गए प्राणियों की भूख को रोकने के लिए भोजन उत्पादन की विधि को प्रस्तुत करना था. यह प्रक्रिया अक्षय होने से इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है.
पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर होती है पूजा
विदित हो कि अक्षय तृतीया ओडिशा के लोगों के लिए एक शुभ दिन है. इसी पावन दिवस से भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण शुरू हो रहा है. तीनों देवताओं के पास से रथ बनाने का आज्ञा माल (निर्देश) मिलता है. यह आदेश रथ निर्माण में लगे महाराणा को दिया जाता है. पुरी जगन्नाथ मंदिर के सभी रीति-कांति के अनुसार राउरकेला के सबसे प्राचीन अहिराबंध जगन्नाथ मंदिर में भगवान महाप्रभु की पूजा के साथ-साथ सभी अनुष्ठान किए जाते हैं. इसे लेकर बुधवार को अहिराबंध रथ खला में श्री श्रीजगन्नाथ वैद्यनाथ महाप्रभु मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष गिरिजा शंकर द्विवेदी, सुधीर सुंदर राय, मित्रभानु पंडा, विजय पत्री, रजत चौधरी, सेवायत संघ के महासचिव किशोर नायक और सुभाष पाणिग्राही, श्रीधर बारिक, बंसीधर सियो, सुदर्शन त्रिपाठी, गोकुली पंडा और मनु खंडुवाल सहित अन्य सेवायत प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
शहर के अन्य मंदिरों में भी हुई पूजा
भगवान की आज्ञा माल महाराणा भिखारी स्वांईं और डुम्बरु महाराणा को दी गई और उन्होंने रथ की लकड़ी की पूजा करके रथ निर्माण का कार्य प्रारंभ किया. पुजारी गोकुली पंडा ने पूजा कार्य पूरा करने में मदद की.इसी प्रकार शहर के कोयलनगर, नयाबाजार, सेक्टर-6,बसंती कालोनी, झीरपानी, हनुमान वाटिका व अन्य जगन्नाथ मंदिरों में भी रथ निर्माण के लिये लकड़ी पूजा की गयी.
अक्षय तृतीया पर श्री जगन्नाथ मंदिर में हुई विशेष पूजा
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