संदेशखाली बना दूसरा नंदीग्राम
राज्य के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने एक बार फिर नंदीग्राम की तुलना संदेशखाली से की है. उन्होंने कहा, ”संदेशखाली में पराधीनता विरोधी संघर्ष चल रहा है. नंदीग्राम में जमीन कब्जा आंदोलन शुरू हुआ था और यहां लोग महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. यहां जमीन कब्जाकरना भी एक बड़ा मुद्दा है. उन्होंने टिप्पणी की कि संदेशखाली में हर कोई बीजेपी पर भरोसा कर रहा है. कई जगहों पर नंदीग्राम जैसे हालात बनेंगे. आम लोग हाथों में झंडा उठाकर विरोध की भाषा बोल रहे हैं. वे अब किसी भी राजनीतिक दल को ज्यादा तवज्जों नहीं दे रहे हैं. लोगों को अपना रास्ता खुद खोजना होगा.
शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने के दौरान कई बार रोका गया
शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने के दौरान कई बार रोका गया है. उन्होंने 26 फरवरी को फिर से संदेशखाली जाने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. धारा 144 फिर से जारी कर दी गई है. जो अगले शनिवार तक लागू रहेगा. इनमें विपक्षी नेता ने संदेशखाली जाने की इजाजत मांगी है. लेकिन कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया है.
निर्दोषों पर जुल्म कर रही पुलिस : भाजपा
संदेशखाली की स्थानीय महिलाओं के साथ भाजपा की नेता फाल्गुनी पात्रा भी प्रदर्शन में शामिल हुईं. फाल्गुनी ने कहा कि महिलाएं शांतिपूर्वक आंदोलन कर की रही थीं. लेकिन पुलिस ने उन्हें बेरहमी से हटा दिया. न एक महिला पुलिस की गाड़ी के नीचे आ गयी. दोषियों को बचाने के लिए पुलिस निर्दोषों पर जुल्म कर रही है.