विहार पंचमी का महत्व
मथुरा वृंदावन में ठाकुर बांकेबिहारी का प्राकट्योत्सव विहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है. स्वामी हरिदास की साधना से प्रसन्न होकर वृंदावन स्थित निधिवन में विक्रम संवत 1563 की मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को ठाकुर बांकेबिहारी प्रकट हुए थे. आज यहां निधिवन राज मंदिर है. यहां ठाकुर बांकेबिहारी की प्राकट्यस्थली आज भी मौजूद है. इसी दिन को ब्रज में बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है. स्वामी हरिदास निधिवन के कुंजों में प्रतिदिन नित्य रास और नित्य विहार का दर्शन करते थे. अत्यंत सुंदर पद गाया करते थे. स्वामी हरिदास को राधारानी की सखी ललिता सखी का अवतार बताया जाता है.
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प्रवेश और निकास द्वार के नहीं तोड़ें नियम
मथुरा वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक मुनीश कुमार की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को उनके हित में कई अहम सलाह दी गई है. मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं को निर्धारित प्रवेश द्वार से ही मंदिर में प्रवेश और निकास द्वार से ही दर्शन करने के उपरांत जाने को कहा है. प्रबंधन ने दर्शनार्थियों को मंदिर में किसी भी प्रकार का बैग एवं कीमती सामान नहीं लाने की सलाह दी है. साथ ही लपकों और आसामाजिक तत्वों से सावधान रहने के लिए सचेत किया है. गाइडलाइन में कहा गया है कि मंदिर के अंदर जेब कतरों और मोबाइल चोरों से सावधान रहें.
पुलिस प्रशासन से मांगी गई सहायता, अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड होंगे तैनात
इसके साथ ही बांकेबिहारी के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने श्रद्धालुओं को मंदिर के सभी प्रवेश मागों पर बने जूता घरों में ही जूता चप्पल उतार कर मंदिर में प्रवेश की सलाह दी है. उन्होंंने कहा कि भीड़ के नियंत्रित करने के लिए पुलिस, प्रशासन, नगर निगम को पत्र भेजकर सहायता मांगी गई है. इसके अलावा 50 अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड मंदिर के अंदर तैनात किए जाएंगे.
इन लोगों को साथ नहीं लाने की अपील
श्रद्धालुओं को सचेत किया गया है कि भीड़ के दौरान मंदिर में छोटे बच्चे, बुजुर्ग, दिव्यांग और बीमार व्यक्ति को अपने साथ लेकर मंदिर नहीं आएं. श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच व्रत करने और चिकित्सक की सलाह के बावजूद दवाई नहीं लेने से कई बार कुछ दर्शनार्थियों की हालत खराब हो जाती है. इनमें महिलाओं से संबंधित ऐसे कई मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं. ऐसे में गाइडलाइन में लोगों को सलाह दी गई है कि चिकित्सक से परामर्श और दवा, भोजन आदि के बाद ही मंदिर आएं, ताकि किसी प्रकार की स्वास्थ्य दिक्कत नहीं हो.