Chandra Grahan 2023: शरद पूर्णिमा पर नहीं मिलेगी अमृत वाली खीर, चंद्रग्रहण ने बिगाड़ा जायका, करें ये उपाय
शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग है. लोगों में काफी भ्रम की स्थिति है कि इस बार रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखना और फिर उसका सेवन सही होगा या नहीं, ऐसे में काशी के ज्योतिषाचार्यों ने इसे लेकर स्थिति स्पष्ट की है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण इसी महीने है.
By Sanjay Singh | October 8, 2023 11:35 AM
Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा का शास्त्रों में काफी महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के कारण लोगों को इसका पूरे साल काफी इंतजार रहता हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल अश्विन (Ashwini) मास की पूर्णिमा (Purnima) तिथि को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का खास महत्व है. इस दिन आसमान से अमृत की बरसात होती हैं. इसलिए इस दिन खीर बनाने का और उसे रात के समय खुले आसमान के नीचे रखने का खास महत्व है. बाद में इस खीर का सेवन किसी अमृत के सेवन जैसा माना जाता है. इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग है, इसलिए लोगों में काफी भ्रम की स्थिति है कि इस बार रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखना और फिर उसका सेवन सही होगा या नहीं, ऐसे में वाराणसी के ज्योतिषाचार्यों ने इसे लेकर स्थिति स्पष्ट की है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण इसी महीने लगेगा. सूर्यग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं है, ऐसे में इसका सूतक यहां प्रभावी नहीं होगा. इसके साथ ही शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण की छाया पड़ने के कारण इस साल आसमान से अमृत नहीं बरसेगा. सूतक लगने से शरद पूर्णिमा के सभी अनुष्ठान दिन में ही संपन्न होंगे.
नौ सालों के बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग
सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्तूबर को सूर्यग्रहण और शरद पूर्णिमा 28 अक्तूबर को चंद्रग्रहण रहेगा. सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक काशी में प्रभावी नहीं होगा. श्री काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन होंगे. उन्होंने बताया कि नौ सालों के बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग बन रहा है जो भारत में दृश्यमान होगा. ऐसे में शरद पूर्णिमा पर पूजा अर्चना सहित अन्य कार्यक्रम दिन में ही आयोजित किए जाएंगे. चंद्रग्रहण मध्यरात्रि में पड़ेगा और इसका सूतक दोपहर बाद से ही प्रारंभ हो जाएगा.
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक ऐसे में दोपहर के बाद से ही मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे. इस वजह से शरद पूर्णिमा पर बनने वाली खीर भी मध्यरात्रि नहीं बनेगी. श्रद्धालु चाहें तो दूसरे दिन खीर का भोग भगवान को अर्पित कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक चंद्रग्रहण अश्विनी नक्षत्र में और मेष राशि पर होगा. ग्रहण का प्रारंभ ईशान कोण से होगा और मोक्ष चंद्रमा के अग्नि कोण पर होगा. एक पखवाड़े में दो ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं. सूतक के कारण रात्रि में मंदिरों के पट बंद रहेंगे. मंदिरों में भजन कीर्तन तो होंगे, लेकिन खीर का भोग भगवान को अर्पित नहीं किया जाएगा.
चंद्रग्रहण के सूतक काल से जुड़ी अहम बातें
चंद्रग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. सूतक काल के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य या पूजा पाठ नहीं किया जाता है. 28 अक्टूबर की मध्यरात्रि को लगने जा रहे चंद्रग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा. भारत के अलावा भी कई देशों में चंद्र ग्रहण दिखाई देने वाला है. यह चंद्रग्रहण ऑस्ट्रेलिया, संपूर्ण एशिया, यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका के उत्तरी पूर्वी क्षेत्र, हिंद महासागर, दक्षिणी प्रशांत महासागर में दिखाई देगा.
ग्रहण को लेकर इन बातों का रखें ध्यान
ग्रहण में सूतक और ग्रहण काल के दौरान आप चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जप कर सकते हैं. ग्रहण काल 28 अक्टूबर को सूर्यास्त के बाद अपने सामर्थ्य और ब्राह्मण के परामर्श के अनुसार, दान का संकल्प लें और अगले दिन सूर्योदय के समय स्नान के बाद ब्राह्मण को दान दे देना चाहिए.