लखनऊ में कुत्ते दफनाए नहीं जलाए जाएंगे, शवों के निस्तारण के लिए 4 करोड़ में बनेगा आधुनिक शवदाह गृह

यूपी की राजधानी लखनऊ में अब मरे हुए कुत्तों के शव के निस्तारण का प्लांट लगाया जाएगा. इस प्लांट के लगने से दो घंटे में 50 कुत्तों के शव का निस्तारण हो सकेगा.

By Sandeep kumar | September 8, 2023 10:24 AM
an image

Lucknow: यूपी में इंसानों के लिए तो शवदाह गृह बने हुए हैं. मगर, कुत्तों के लिए इस तरह का कोई शव निस्तारण का बंदोबस्त नहीं किया गया था. इसकी शुरुआत राजधानी लखनऊ में होगी, यहां अब कुत्तों के शवों को दफनाया नहीं बल्कि जलाया जाएगा. लखनऊ में करीब चार करोड़ रुपये की लागत से आवारा कुत्तों के लिए विद्युत शव दाह गृह बनाया जा रहा है. इसमें 2 घंटे में एक साथ करीब 50 कुत्तों का अंतिम संस्कार हो सकेगा.

लखनऊ नगर निगम में ही अकेले आठ जोन हैं. इसमें हर दिन करीब 100 से अधिक मरे हुए कुत्तों को उठाने के लिए शिकायत आती है. इसके बाद उनको वहां से उठाकर शिवरी प्लांट लेकर जाया जाता है. फिर वहां खाली जगह में गड्ढा खोदकर उन्हें दफनाया जाता है. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन, अब नई व्यवस्था में इंसानिरेटर लगाने से यह विद्युत शव दाह गृह की तरह हो जाएगा.

50 कुत्तों का होगा एक साथ अंतिम संस्कार

यह प्लांट सीएनजी गैस से चलेगा साथ ही बिजली से भी इसको चलाया जा सकेगा. इसमें एक साथ करीब 50 कुत्तों के शवों को डिस्पोज किया जा सकेगा. इसमें पांच भट्टी लगाई जाएगी. हर भट्ठी की ट्रे में 10 मिनट तक कुत्तों के शव को रखा जा सकेंगा और दो घंटे तक यह मशीन चलेगी. इसमें 50 कुत्तों का एक साथ अंतिम संस्कार कर सकेंगे.

आवारा कुत्तों के शवों की समस्या हल हो जाएगी- अधिकारी

नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी अभिनव वर्मा ने बताया कि यह प्लांट लगाने से आवारा कुत्तों के शवों को लेकर जो समस्या थी वो हल हो जाएगी. अभी तक इसका कोई इंतजाम नहीं था. यह प्रस्ताव पास करने के बाद इसे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इससे प्रतिदिन होने वाले कुत्तों की मौत पर उनका निरस्तीकरण अब कम समय में जल्द से जल्द किया जा सकेगा.

बड़ी समस्या से मिलेगी राहत- महापौर

वही, महापौर सुषमा खर्कवाल का कहना है कि मृत कुत्तों के निस्तारण का प्लांट लग जाने से बहुत एक बड़ी समस्या हल हो जाएगी. अभी निस्तारण का कोई सही इंतजाम नहीं है. प्लांट लगाने के प्रस्ताव को पास कर दिया गया है. उसको लगाने की प्रक्रिया भी शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. मृत कुत्तों के निस्तारण को लेकर एक प्लांट लगाने के अलावा मृत पशुओं को उठाने के लिए ऑटोमैटिक गाड़ी गाड़ी खरीदने को भी मंजूरी दी गई है.

लखनऊ यूनिवर्सिटी में बनेगा एस्ट्रोनॉमी रिसर्च सेंटर

लखनऊ विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष से जुड़ी हुई चीजों पर अध्ययन करने के लिए एक नया एस्ट्रोनॉमी रिसर्च सेंटर बनने जा रहा है. इसे लेकर लखनऊ यूनिवर्सिटी और गोरखपुर की व्राटिनो टेक्नोलॉजी ने भारतीय खगोल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए एक करार पर हस्ताक्षर किया है. लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने भारतीय खगोल तकनीक को बढ़ावा देना के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय और व्राटिनो टेक्नोलॉजी, गोरखपुर के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किया है.

इस एमओयू का उद्देशय भारतीय खगोल तकनीक को बढ़ावा देना है. इस ऐतिहासिक एमओयू का महत्व इससे समझा जा सकता है कि यह भारत को खगोल अन्वेषण के नए युग में पहुंचाने हेतु कार्य करेगा. लखनऊ विश्वविद्यालय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऊंचाइयां छूने के लिए की तैयारी कर रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने मीडिया से बताया की ये एमओयू इसी शैक्षणिक सत्र से प्रभावित होगा और इसका मुख्य काम अंतरिक्ष विज्ञान और खगोलीय शोध सामग्री के विकसित करने का होगा. इसके तहत गणित और खगोल विज्ञान विभाग में बने प्लैनेटोरियम को भारत की पहली स्वदेशी खगोल विज्ञान शोधशाला के रूप में स्थापित किया जाएगा.

इस अवसर पर डीन एकेडेमिक्स, प्रोफेसर पूनम टंडन, गणित और खगोल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अल्का मिश्रा, व्राटिनो के निदेशक, सचिन्द्र नाथ उपस्थित रहे. इस अवसर पर नाथ ने बताया कि इस एमओयू के माध्यम से व्राटिनो टेक्नोलॉजी और लखनऊ विश्वविद्यालय अंतरिक्ष अनुसंधान और अंतरिक्ष जागरूकता कार्यक्रम के लिए नई तकनीक और उपकरण विकसित करने में सहयोग करेंगे. लखनऊ विश्वविद्यालय और व्राटिनो टेक्नोलॉजी के संयुक्त प्रयासों का उद्देश्य भारत को उसकी पहली स्वदेशी खगोल विज्ञान शोधशाला की स्थापना करने का भी है. इस दृष्टि से यह संयुक्त प्रयास भारत को आकाशगंगा में एक नई ऊँचाइयों तक ले जाने का लक्ष्य रखता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version