एनआईए के महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने इस मौके पर कहा कि आज तकनीक का युग है. तकनीक का जिस तेजी से विकास हो रहा है, उससे हमारे जीवन को बदल दिया है. जिस तरह तकनीक के पॉजिटिव रुख हैं तो उसी तरह अपराध के लिए नए अवसर और रास्ते भी तकनीक सुझाती है. इसलिए जरूरी है कि पुलिस लगातार प्रयास करके नई-नई तकनीक का विकास करे. एनआइए महानिदेशक ने आरपीएफ महानिदेशक मनोज यादव के साथ एक स्मारिका का विमोचन भी किया.
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डिजिटल इंवेस्टीगेशन महत्वपूर्ण
ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट में बताया गया कि आज के युग में डिजिटल इनवेस्टिगेशन भी महत्वपूर्ण है. इस मीट में साइंटिफिक तरीके से क्राइम सीन को सूक्ष्मता से जांच करने की पुलिस की क्षमता, फिंगर प्रिंट आदि की परीक्षा ली जाती है. इसी प्रकार वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की स्किल को भी परखा जाता है. क्योंकि क्राइम सीन में मौजूद प्रत्येक चीज साक्ष्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. अपनी उपस्थिति के निशान छोड़े बिना अपराध करना किसी भी अपराधी के लिए लगभग असंभव है. यह सिद्धांत डिजिटल जांच के क्षेत्र में भी स्वाभाविक रूप से लागू होता है.
डिजिटल फुट प्रिंट्स बनते हैं सबूत
आज के डिजिटल दौर में लोग कहीं भी जाते हैं, तो वह वहां डिजिटल फुटप्रिंट्स जरूर छोड़ते हैं. यह सिद्धांत फोरेंसिक में भी लागू होता है. यही कारण है कि सुरक्षा बल, पुलिस पर्सनल डाटा माइनिंग पर ध्यान रखते हैं. पुलिस में भी कंप्यूटर ट्रेनिंग पर अधिक जोर दिया जा रहा है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को लागू करने के लिए इस ऑल इंडिया पुलिस डयूटी मीट में काम हो रहा है.
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