अयोध्या के श्रीराम मंदिर में एक तरफ रामलला विराजमान हो रहे थे तो दूसरी तरफ सुबह से ही लोग यहां पूरे भारत की सांस्कृतिक गतिविधियों से रूबरू हो रहे थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परिकल्पना ‘सांस्कृतिक अयोध्या’ का दिव्य रूप सोमवार को देखने को मिला. जब 100 से अधिक मंचों पर सुरमयी प्रस्तुतियों से संस्कृति के विविध रंग दिखे. यह न सिर्फ अयोध्यावासियों, बल्कि देश के कोने-कोने से आये अभ्यागतों के लिए भी गौरव का क्षण रहा. सुबह की ठंड भी कलाकारों के हौसले नहीं डिगा पायी. रामनगरी की सुबह कलाकारों के इंद्रधनुषी रंग में रंगी नजर आयी तो शाम मालिनी अवस्थी और कन्हैया मित्तल के गीतों से सुरमयी हो उठी. प्राण-प्रतिष्ठा पर रामनगरी में सिर्फ अवध ही नहीं, बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश नजर आया. डमरू वादन और शंख वादन से अतिथि देवो भवः की परंपरा से रुबरु कराया गया. धोबिया लोकनृत्य, फरुआही नृत्य से माटी की खुशबू बिखरी तो गोरखपुर के वनटांगिया जनजातीय लोकनृत्य का दीदार कर हर आंखों में चमक दिखी. अवधी व उत्तरांचल के नृत्य से अभ्यागतों का स्वागत किया गया। बम रसिया, मयूर लोकनृत्य से ब्रज की खुशबू से अवध महक उठा। राई लोकनृत्य, आदिवासी नृत्य आदि पेश किया गया। धर्मपथ से लेकर रामपथ, जन्मभूमि पथ के पहले, एयरपोर्ट, लता चौक के पास व अन्य कई स्थानों पर नृत्य, वादन व गायन का लोगों ने आनन्द उठाया.
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