अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शाम अनगिनत दीपों से जगमगाती रामनगरी को जिसने भी देखा, अपने पलकों को बिना गिराये निहारता ही रह गया. प्रभु श्रीराम की नगरी का नागरिक हो या भारत के दूसरे कोने से आए श्रद्धालु सभी दीप व राम ज्योति जलाकर अवधपुरी के कण-कण में अपने राम को निहार रहे थे. अपने घर में लल्ला की गूंज से हर ओर राम नाम गुंजायमान रहा. श्रीरामलला के अपने दिव्य-भव्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद दीपोत्सव मनाया गया. प्रभु के श्रद्धालु संकटमोचक हनुमानगढ़ी मंदिर के सामने भी भक्ति में लीन दिखे. अवधपुरी में यह आयोजन अद्वितीय हो गया. सभी के मन में इस बार अलग ही उमंग, उत्साह व उल्लास देखने को मिला. क्योंकि 500 वर्षों का संघर्ष समाप्त हो गया है. अयोध्या दीपोत्सव में सोमवार को आस्था और आत्मीयता के दीप जले. सहजता के साथ आत्मीयता के भावों को संजोए हुए आराध्य प्रभु के प्रति आस्था जाहिर करते हुए सरयू तीरे, राम की पैड़ी, मठ-मंदिरों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जल रहे अनगिनत दीपों के बीच निहाल श्रद्धालुओं का हर्ष, उमंग और अनुभूति हर कोई महसूस कर रहा था. सहज भाव से हो रहे ‘राम राम जय राजा राम’ ‘जय सिया राम’ ‘सियावर रामचन्द्र की जय’ जयघोष के साथ सरयू की लहरों में उठती तरंगें देख ऐसा लग रहा था कि मानो सरयू मैया भी अपने राम की जयकार कर रही हों. श्रीराम के इस महाउत्सव पर पूरी अवधपुरी को सजाया गया था. अयोध्या के मंदिरों, छोटी गलियों से लेकर मुख्य मार्गों, सभी सरकारी, धार्मिक भवनों पर तो आकर्षक लाइटिंग की ही गई थी. लेकिन नगरवासियों ने भी घरों में दीप जलाकर अपने राम को अपने बीच महसूस किया. हर रोज की तरह सरयू मैया की आरती भी उतारी गयी. इस दौरान अलग ही उमंग देखने को मिला. यहां अनेक साधु-संतों के साथ अनेक विशिष्ट जनों द्वारा घाटों पर आरती की गयी.
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