‘सिर्फ पाकिस्तान का समर्थन अपराध नहीं…’ इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का समर्थन करने वाले युवक को जमानत दी. कोर्ट ने कहा, भारत या किसी घटना का उल्लेख किए बिना केवल पाकिस्तान का समर्थन करना प्रथम दृष्टया देशद्रोह नहीं है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है.

By Shashank Baranwal | July 12, 2025 1:49 PM
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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का समर्थन करने वाले एक युवक को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति ने भारत या किसी विशेष घटना का जिक्र किए बिना केवल पाकिस्तान का समर्थन किया है, तो इसे प्रथम दृष्टया BNS की धारा 152 के तहत देशद्रोह नहीं माना जा सकता है.

क्या है मामला?

दरअसल, 18 वर्षीय रियाज को मई 25 से जेल में रखा गया था. उस पर आरोप है कि उसने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि चाहे जो हो जाए, समर्थन तो बस….. पाकिस्तान का करेंगे. इस पोस्ट के आधार पर उसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. इसी मामले पर सुनावई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है.

कोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने सभी दलीलों को सुनने के बाद रियाज की जमानत मंजूर कर दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि सिर्फ किसी अन्य देश के समर्थन में पोस्ट करना, जब तक वह भारत की संप्रभुता, एकता या अखंडता को नुकसान नहीं पहुंचाता, भारतीय दंड संहिता की धारा 152 के अंतर्गत अपराध नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने यह भी माना कि याची के खिलाफ कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और पुलिस ने पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. साथ ही जांच एजेंसियों को अब उसकी हिरासत की भी आवश्यकता नहीं है.

सरकार की आपत्ति और सुप्रीम कोर्ट का हवाला

सरकारी पक्ष ने तर्क दिया कि ऐसी पोस्ट से अलगाववाद को बढ़ावा मिल सकता है. इसके जवाब में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले ‘इमरान प्रतापगढ़ी बनाम गुजरात राज्य’ का हवाला देते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान का एक मूल स्तंभ है. हाई कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि सोशल मीडिया पर व्यक्त किए गए विचार भी इसी अधिकार के अंतर्गत आते हैं और इनकी व्याख्या बहुत संकीर्ण रूप से नहीं की जानी चाहिए.

हाई कोर्ट ने दी सशर्त जमानत

कोर्ट ने रियाज की उम्र, आपराधिक इतिहास की अनुपस्थिति और आरोप पत्र दाखिल हो जाने को ध्यान में रखते हुए उसे सशर्त जमानत दी है. जमानत इस शर्त पर दी गई है कि वह दोबारा ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जिससे कानून-व्यवस्था को खतरा हो.

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